ये हम आ गए कहाँ!!! (34)

     घर के बड़े मेहमानों को विदा करने में लगे हुए थे। तभी मौका पाकर रेहान ने लावण्या कहां पकड़ा और खींच कर अपने साथ दूसरी तरफ ले गया। लावण्या उसका हाथ थामें उसके साथ चल पड़ी। उसे भी रेहान के साथ थोड़ा वक्त चाहिए था लेकिन रेहान उसके करीब आना चाहता था जो लावण्या को थोड़ा असहज लग रहा था और वो उससे दूर जाने की कोशिश करने लगी। रेहान बोला, "कम ऑन लाव! हमारी सगाई हो चुकी है, अब तो मैं तुम्हारे करीब आ सकता हूं! प्लीज यार!" 

    लावण्या बोली, "तुम रेहान ही हो ना? रूद्र की तरह बर्ताव क्यों कर रहे हो? रेहान! माना हमारी सगाई हो चुकी है लेकिन हमारी शादी में ज्यादा वक़्त नहीं है और इस तरह से करीब आना मुझे अच्छा नहीं लगता। प्लीज यार! बात समझने की कोशिश करो। हमारी शादी में सिर्फ एक महीना ही तो बचा है। जहा हमने कितने साल इंतजार किया है एक महीना और सही, क्या बिगड़ जाएगा! और यह सारी हरकतें ना रूद्र को सूट करती है तुम्हें नहीं।"

     रेहान बोला, "कम ऑन लव! सगाई हो गई है तो शादी भी हो ही जाएगी। और क्या फर्क पड़ जाएगा, शादी से पहले या शादी के बाद? शादी तो होनी है ना, कौन सा मैं कहीं भागा जा रहा हूं! और यह ना तुम मुझे रूद्र से कंपेयर करना बंद करो। उसकी तरह होता तब तक कई लड़कियों के साथ रिलेशनशिप में होता या फिर तुम्हारे साथ अब तक कई बार रिलेशन बना चुका होता तो आइंदा तुम मुझे उसके साथ कंपेयर नहीं करोगी, समझी तुम!!!" कहते हुए गुस्से मे वो वहाँ से चला गया। रेहान की यह हरकत लावण्या की बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही। उसे ऐसा लग रहा था मानो यह रेहान वो रेहान नहीं है जिसे अब तक वह जानती आई है। ये कोई और ही था। ना तो इसके बात करने में वह नरमी थी और ना ही वह बात जो रेहान को सबसे खास बनाती थी। लावण्या रेहान के इस बेसब्री की वजह समझ नहीं पा रही थी। ना तो वह खुद हद पार करना चाहती थी और ना ही रेहान को नाराज करना चाहती थी। लेकिन यह सब इस तरह शादी से पहले उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। 

     शिखा ने अपने चारों ओर नजर दौड़ाई लेकिन रूद्र उसे कहीं भी दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने रेहान से पूछा। इससे पहले कि रेहान कोई जवाब दे पाता शरण्या बोल पड़ी, "आंटी! वो रूद्र काफी देर पहले ही घर निकल गया। वह उसके हाथ में चोट भी लग गई थी और तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी तो वह घर के लिए निकल गया। उसने कहा मुझसे कि मैं आप सबको बता दूं इस बारे में। मैंने उसे रोका भी था लेकिन वह रुका नहीं, चला गया। आप तो जानते ही हैं ना कितना मूडी है वह।" शरण्या की बात सुन शिखा को थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन रूद्र की आदतों के बारे में वह भी अच्छे से जानती थी इसलिए उन्होंने कुछ और सवाल नहीं किया और धनराज और रेहान के साथ घर के लिए निकल गई। जाते वक्त रेहान ने एक बार पलट कर भी लावण्या को नहीं देखा जिससे लावण्या को बहुत ज्यादा बुरा लगा। 

     सब के जाने के बाद जाने अनन्या को क्या सूझा, उसने आव देखा ना ताव शरण्या के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। अनन्या इस वक्त बहुत ज्यादा गुस्से में थी। ललित ने जब उसे रोकना चाहा तो वह चीखते हुए बोली, "आज का दिन मेरी लावण्या का था, मेरी बेटी लावण्या का!!! सबका ध्यान सिर्फ उस पर और रेहान पर होना चाहिए था लेकिन नहीं...... इस लड़की को...... इस बेशर्म लड़की को सबके सामने खुद को शो ऑफ करना जरूरी था। सबका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए किया ये सब। और जब सारे मेहमान चले गए तो सिर्फ दिखाने के लिए कपड़े बदल कर चली आई। यही जताना चाहती थी ना कि मैंने इसे मजबूर किया है यह सब करने को। आखिर ये लड़की कब तक सबके सामने हमें जलिल करती रहेगी? सिर्फ तुम्हारी वजह से लावण्या..... सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी वजह से मैं इस लड़की को बर्दाश्त कर रही हूं।"

     रूद्र का दिया दर्द कम था जो एक और दर्द से सामना शरण्या को अंदर तक तोड़ गया। वो बिना कुछ बोले चुपचाप वहां से निकलकर अपने कमरे में चली आई और दरवाजा बंद कर लिया। लावण्या अपनी मां पर बरस पड़ी। "मां....! ये क्या किया आपने? मैंने उससे कहा था ऐसे कपड़े पहनने को। मैं खुद लेकर आई थी उसके लिए यह सब। उसने खुद नहीं पहना था। और क्या फर्क पड़ता है इससे? हक है उसका मेरी सगाई और अब मेरी शादी में खूबसूरत दिखने का। उसे हक है क्योकि वह बहन है मेरी। मेरी समझ मे नही आता, आप उसे इतनी बुरी तरह से ट्रीट क्यों करती है? आपकी भी तो बेटी है वो, तो फिर मुझ में और उसमें इतना फर्क क्यों? अपने उसे कभी गले लगाना तो दूर उसके सिर पर हाथ तक नहीं फेरा आपने, ना कभी प्यार से दो शब्द कहें उसे! कैसी मां हैं आप?" शरण्या का दर्द लावण्या से देखा नहीं जा रहा था। अपनी मां को बातें सुना कर वह शरण्या के कमरे की ओर भागी। अनन्या अपनी बेटी की कड़वी बातें सुन वही लड़खड़ाकर बैठ गई। 

      "शरण्या दरवाजा खोल! शरण्या प्लीज दरवाजा खोल!! एक बार मेरी बात सुन ले। मां की बात का बुरा मत मान। तुझे तो पता ही है ना वो कैसी है। उन्हें तो बस गुस्सा करने का एक मौका चाहिए। मुझसे बात कर ना! तुझे पता ना मैं तुझसे कितना प्यार करती हूं। मैंने बहुत सुनाया उन्हें। आज के बाद मैं उनसे कभी बात नहीं करूंगी। आखिर वो मेरी बहन को मेरे सामने इतना बुरा भला कैसे कह सकती हैं! शरण्या! तू सुन रही है ना? प्लीज दरवाजा खोल! एक बार मुझे अंदर आने दे, शरण्या!!" लेकिन शरण्या ने ना तो दरवाजा खोला और ना ही लावण्या की किसी बात का जवाब दिया। वह बस पूरे कमरे में अंधेरा किए बिस्तर के एक तरफ कोने में बैठी रही। उसे अनन्या के थप्पड़ से इतना दर्द नहीं हुआ था जितना रूद्र के बर्ताव से हुआ था। वो जानती थी कि अनन्या कभी उसे प्यार नहीं करती, लेकिन रूद्र का इस तरह उसके साथ पेश आना उसे तकलीफ दे रहा था। 

      इधर रूद्र भी कम बेचैन नहीं था। उसने गुस्से में अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और कपड़े पहने ही बाथरूम में जाकर खुद पर ठंडे पानी का शावर ऑन कर लिया। ठंड के मौसम में भी ठंडा पानी उसके गुस्से को कम करने में नाकामयाब साबित हो रहे थे। काफी देर तक शावर के नीचे खड़े रहने के बाद जब उसका मन थोड़ा शांत हुआ तो वो बाथरूम से निकला और कपड़े बदल कर बिस्तर पर लेट गया लेकिन नींद उसकी आंखों से मिलो दूर थी। अगर कुछ था तो वो था पछतावा और आंसू! आज शरण्या को दर्द देकर उसने खुद को कितनी बड़ी चोट पहुंचाई थी, इसका एहसास उसे अब हो रहा था। रूद्र ने अपने हाथ में बंधी पट्टी को देखा और खुद से बोला, "जिसने तेरी चोट पर मरहम लगाया, तु उसे ही चोट दे आया रूद्र!! जिसकी आंखों में कभी आंसू नहीं देख सकता था तू, आज उसे ही रुला दिया तूने? उन आंखों में डर था, वो तुझे देखकर डर रही थी। अब पता नहीं उसका सामना कैसे करूंगा मैं? पता नहीं कैसे माफी मांगुंगा मैं उससे? वह मुझे कभी माफ करेगी भी या नहीं? उससे भी सबसे बड़ी बात, मेरी तरफ देखे भी या नहीं? क्या कर दिया मैंने? अपने गुस्से पर इतना भी कंट्रोल नहीं रहा, हो क्या गया था मुझे? उस विक्रम को जो सजा मिली बहुत कम है! मेरा दिल कर रहा है अभी जाकर उसका खून कर दु। हिम्मत कैसे हुई उसकी मेरी शरण्या को छूने की! मैं उसकी जान ले लूंगा! उसकी वजह से मैंने मेरी शरण्या को चोट पहुंचाई...... उसकी वजह से! पता नहीं अभी वो कैसी होगी, क्या कर रही होगी? एक बार उसकी आवाज सुन लेता तो!" सोचते हुए रूद्र ने अपना फोन ढूंढना शुरू किया। लेकिन उसका फोन पैंट की पॉकेट में था जो कि पानी से पूरी तरह भीग चुका था। उसने गुस्से में फोन को दीवार पर दे मारा जिस से वह टुकड़ों में बिखर गया। 

     आवाज सुनकर शिखा रूद्र के कमरे में आई तो देखा रूद्र सो रहा था। शिखा ने रूद्र को कंबल ओड़ाया और प्यार से उसका सर सहलाया जो कि अभी भी थोड़ा गीला था। उन्होंने तौलिया लेकर उसके बाल पोंछे और उसके चेहरे की तरफ ध्यान से देखा। रूद्र के चेहरे पर बेचैनी साफ नजर आ रही थी। शिखा अच्छे से जानती थी कि रूद्र सो नहीं रहा है लेकिन इसके बावजूद उन्होंने रूद्र को जगाया नहीं, और ना ही उससे कोई बात करने की कोशिश की। रूद्र कभी उनसे कुछ नहीं छुपाता था लेकिन अभी अगर वह इस तरह चुप है इसका मतलब कुछ हुआ है जो रूद्र बताना नहीं चाहता। शिखा चुपचाप उठकर अपने कमरे में चली आई। उस रात किसी के चेहरे पर खुशी नहीं थी। 

      अगली सुबह रेहान जल्दी से तैयार होकर मीटिंग के लिए निकलने वाला था। जब वह नीचे आया तो पाया कि रूद्र पहले से ही डाइनिंग टेबल पर मौजूद था। रेहान और धनराज को बहुत हैरानी हुई क्योंकि रूद्र कभी ना इतनी सुबह उठता था और ना ही वक्त पर नाश्ते के लिए पहुंचता था। वही रूद्र खामोशी से वहां बैठा सब का इंतजार कर रहा था। उसकी ख़ामोशी देख शिखा ने कोई सवाल करना सही नहीं समझा और ना ही धनराज या रेहान ने कुछ कहा। रेहान ने जल्दी से नाश्ता खत्म किया और जैसे ही ऑफिस जाने को हुआ उसका फोन बजने लगा। रेहान ने फोन लिया और दूसरी तरफ चला गया। कुछ देर बात करने के बाद उसने अपना फोन सोफे पर फेंक दिया और सिर पकड़ कर वहीं बैठ गया। 

      धनराज को अजीब लगा तो उन्होंने पूछा, "क्या बात है रेहान! क्या हुआ? तुम्हारी तो मीटिंग थी ना, कैंसिल हो गई क्या? रेहान क्या हो गया, इतने परेशान क्यों हो?" रेहान झुंझलाते हुए बोला, "मीटिंग थी पापा! कैंसिल नहीं हुई है वह, किसीने विक्रम को बहुत बुरी तरह से मारा है कल। इस वक्त हॉस्पिटल में है। जिस डील के लिए मैंने पिछले काफी टाइम से दिन रात एक कर दिया था, विक्रम मेरे उसी प्रोजेक्ट का इन्वेस्टर है। कल हमारी पार्टी से निकलने के बाद किसी ने उसे उसके घर के पास ही बहुत बुरी तरीके से मारा है। सिर्फ इतना ही नहीं, उसका हाथ भी पूरी तरह से फैक्चर है। ऐसा लग रहा जैसे किसी ने अपना पूरा गुस्सा निकाला है उस पर।" धनराज ने भी अपना सिर पकड़ लिया और बोले, "कौन कर सकता है ऐसा? क्या उसकी कोई पुरानी दुश्मनी थी? वरना कोई इस तरह घात लगाकर अपना गुस्सा क्यो निकालेगा किसी पर? कोई आपसी रंजिश या फिर बिजनेस राइवल का तो काम नहीं है?" 

     रेहान बोला, "पता नहीं पापा! पुलिस छानबीन कर रही है। उन्हें कुछ पता चलता है तो देखा जाएगा। फिलहाल तो मेरा प्रोजेक्ट अगले कुछ महीनों के लिए टल गया। मेरी सारी मेहनत बर्बाद हो गई।" कहते हुए रेहान गुस्से उठा और अपने कमरे में चला गया। रूद्र शांति से बैठा हूआ नाश्ता कर रहा था। वह बोला, "जरूर कुछ किया होगा उसने! ऐसे ही कोई अपनी दुश्मनी नहीं निकालता और ना ही कोई दुश्मन बनता है। इस दुनिया में हर कोई अपने किए की सजा खुद भुगतता है। उसने भी कुछ गलती या गुनाह किया होंगे जिस वजह से इस वक्त वह हॉस्पिटल में है। अगर प्रोजेक्ट इतना ही इंपॉर्टेंट है उसके लिए तो कोई नया इन्वेस्टर क्यों नहीं ढूंढ लेता है वो? मार्केट में हमारी गुडविल काफी अच्छी है, ऐसे में इन्वेस्टर मिलना कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए।" रूद्र उठा और वहां से चला गया। शिखा को अब रूद्र पर थोड़ी बहुत शंका होने लगी थी। 







क्रमश:


टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 शरण्या बेचारी, उसकी हालत देख मैं भी दुखी हो गई काफी, रुद्र ने कितना हर्ट किया उसे उसपर अब अनन्या ने भी थप्पड़ मार दिया! लावण्या ने अच्छा किया जो शरण्या के लिए स्टैंड लिया, अब शायद अनन्या में कुछ बदलाव आए..!! और रुद्र, अब शरण्या को दर्द पोहचाने के गिल्ट में है!! 🙄🙄 विक्रम के साथ बिल्कुल सही हुआ...!! और ये रेहान को क्या हो गया? उससे तो ऐसी कभी उम्मीद नही की...!! पर खैर, अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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