ये हम आ गए कहाँ!!! (21)

     पंडित जी के जाने के बाद विहान के मम्मी पापा आलोक और नितु पहुंचे। उन्हें देखते ही ललित ने कहा, "आप दोनों लेट हो बरखुरदार। अब जाकर फुर्सत मिली है आपको! अरे भाई घर की पहली बेटी की शादी है, पंडित जी अभी अभी गए हैं सगाई का मुहूर्त निकाल कर।" आलोक ने बैठते ही कहा, "माफ कर दीजिए भाई साहब! अब क्या है ना, घर से निकलने में थोड़ी देर हो गई वरना हम तो टाइम पर पहुंच ही जाते। आजकल के बच्चे भी ना कब क्या करते हैं कुछ पता नहीं चलता। विहान का ही देख लो! पूरी रात का गायब था और अब जब लौटा है तो खुद को कमरे में बंद कर रखा है। पता नहीं क्या चल रहा है उसके दिमाग में। काफी अजीब तरह से बर्ताव कर रहा है आजकल। अचानक से कहने लगा उसे ऑफिस ज्वाइन करनी है मेरे साथ। अब इससे बड़ी हैरानी की बात और क्या हो सकती है! पिछले कई सालों से उसके पीछे पड़ा हूं लेकिन नहीं!" 

     विहान के ऑफिस ज्वाइन करने की बात सुन वहां हर कोई हैरान था और उससे भी ज्यादा रूद्र! क्योंकि विहान ने एक बार भी उसे इस बारे में बताना तो दूर, एहसास भी नहीं होने दिया था कि वह ऐसा कुछ सोच रहा है। विहान के बारे में सुन सबकी नजर रुद्र की ओर उठ गई, यह बात रूद्र अच्छे से समझ रहा था लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह सबको जवाब क्या दें। आखिर विहान की लाइफ में ऐसा क्या हो गया जो अचानक से जिम्मेदार बनने की कोशिश कर रहा है? रूद्र ने पूछा, "अंकल बिहान है कहां? मैं कब से फोन लगा रहा हूं, फोन ही नहीं उठा रहा है! मुझे लगा था वह मुझे अपनी हर बात बताता है लेकिन आज ऐसा लग रहा है जैसे.......!" कहते कहते रूद्र चुप हो गया लेकिन उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। 

       विहान की लाइफ में कुछ तो ऐसा था जिसके बारे में उसे नहीं पता था। कुछ बहुत बड़ा जिससे विहान अकेले ही लड़ रहा था। मानसी ऊँटी और विहान, ये तीनों ही उसे आपस में जुड़े हुए लग रहे थे लेकिन वह इस सब के बारे में किसी को कहता भी तो क्या? सबसे पहले उसे खुद विहान से बात करने की जरूरत थी। तभी उसके फोन पर किसी का कॉल आया। उठाकर देखा तो कॉल विहान का ही था। उसने कॉल रिसीव किया और उठकर बाहर चला गया। रूद्र का दिल कर रहा था कि वह विहान को जी भर कर गाली दे लेकिन विहान को चुप देख उससे कुछ कहा नहीं गया। वह धीरे से बोला, "विहान.......! सब ठीक तो है? ऐसा क्या हो गया कल जो इतना ज्यादा डिस्टर्ब था? और अचानक से ऑफिस ज्वाइन करने की बात.........यह सारी बातें मुझे अंकल से पता चली, इसका मतलब यह है कि तेरा ये डिसीजन सोचा समझा नहीं है। अगर ऐसा होता तो तू सबसे पहले मुझे बताता!" 

       विहान बोला, "ऐसा कुछ नहीं है यार! बस पापा को अकेले परेशान होता हुआ देख रहा था तो लगा शायद अब वक्त आ गया है जब मुझे उनका बिजनेस संभाल लेना चाहिए। आखिर उन्हें भी तो किसी के साथ की जरूरत है और मैं यह सब नहीं करूंगा तो फिर कौन करेगा? कब तक यों बेफिक्री वाली जिंदगी जिएंगे हम लोग यार! मैं तो तुझसे भी कहता हूं कि अपने पापा की ऑफिस ज्वाइन कर ले रेहान की तरह। पूरा दिन यू खानाबदोश की तरह कब तक जिएंगे, कहीं ना कहीं तो ठहरना ही होगा। लाइफ बहुत छोटी है यार! जाने कब किस मोड़ पर जिदगी मिल जाए और हम उसे पहचान ना पाए तो जिंदगी भर पछतावे के अलावा और कुछ नहीं रहता।" 

      विहान की इतनी गहरी बातें सुनकर रुद्र सोच में पड़ गया लेकिन वह से कहे क्या? उसने पूछा, "विहान एक बात सच सच बता! क्या तू अमित की बीवी को जानता है? मेरा मतलब हम लोग जब ऊंटी गए थे 2 साल पहले तो क्या वहां पर जो एक लड़की मानसी मिली थी तुझे याद है क्या? कहीं यह वही मानसी तो नहीं? पता नहीं क्यों लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है जैसे यह वही लड़की है! वह भी तो मिडल क्लास ही थी ना! तुझे पता है उन दोनों ने शादी कहां से की......? ऊटी से....!बस इसीलिए थोड़ा शक हुआ कि शायद यह वही हो। कुछ देर रुक कर विहान बोला, "ऐसा कुछ नहीं यार! मैंने देखा उसे ये वो लड़की नहीं है। तुझे तो पता ही है! एक बार किसी से मिलने के बाद उसकी शक्ल नहीं भूलता, वो भी किसी लड़की की तो बिलकुल भी नही। और वैसे भी वो लड़की मिडिल क्लास थी, सिंपल सादी बहनजी टाइप! उसको कौन याद रखेगा और अगर यह वही हुई तो उससे हमें क्या मतलब है? वो चाहे जिस से भी शादी करे या अमित से शादी करें! कौन सा मैं उस लड़की को डेट कर रहा था या उसका वेट कर रहा था जो फर्क पड़ेगा।" विहान की बातें रूद्र को सही तो लग रही थी लेकिन उसकी आवाज में कुछ ऐसा था जिससे रुद्र कन्वेंस नहीं हो पा रहा था। रूद्र मानसी से मिला तो नहीं था लेकिन विहान के मुंह से कई बार मानसी का जिक्र जरूर सुना था। 

   रूद्र ने ज्यादा ध्यान नही दिया और बोला, "वो सब छोड़ और यहाँ आ जा! अबे तेरी बहन की सगाई की बात चल रही है और तु वहाँ पता नही कहाँ गायब है। कम से कम अपनी बहन के लिए ही आ जाता। अंकल आंटी तेरे लिए कितना परेशान है। उन्हे लग रहा है उनका लौंडा अब सुधर रहा है जो की परेशानी की बात है। अब ज्यादा कुछ मत सोच और यहाँ आ जा वरना तुझे तो पता ही शरण्या मेरे साथ क्या क्या कर सकती है!" विहान ने "आता हु!" बोलकर फोन रख दिया और वापस अपने बिस्तर पर जा गिरा। उसके कानों मे रूद्र की कही बाते गूंज रही थी।

        'मानसी और अमित ने ऊंटी जाकर शादी की' "ऊंटी??!!" वो जगह जहाँ उसकी और मानसी की कई सारी यादें थी। मानसी उन सारी यादों को इस तरह से दफ़न कर देगी ये उम्मीद नही की थी विहान ने। रूद्र से झूठ बोलकर वो हर साल उसी समय ऊंटी जाता था जब वो मानसी से मिला था, इस उम्मीद मे कि शायद वो मिल जाए और वहीं मानसी ने पुरानी सारी यादों को मिटाने के लिए उसी जगह नई यादें बनाई ताकि विहान को एहसास दिला सके कि अब उसकी लाइफ मे उसकी कोई जगह नही। यह सोच कर ही विहान का दिल भर आया। जाने कब से उसके आँसू तकिये को भिगो रहे थे जो उसके हिस्से आये थे। वो उठा और फ्रेश होकर रॉय हाउस के लिए निकल गया। 

    घर के बड़े सभी सगाई की तैयारियों के बारे मे बाते कर रहे थे। रेहान ने मौका देखते ही लावण्या का हाथ पकड़ा और उसे लेकर छत पर चला आया। लावण्या भी रेहान के साथ कुछ वक़्त चाहती थी। इतने सालों मे कभी उन्हें एक दूसरे पर हक महसूस नही हुआ। आज जब पूरे घरवालों की मंज़ूरी से उनका रिश्ता तय हुआ तो उन दोनो से सब्र नही हो रहा था एक दूसरे से अपने दिल की बात कहने को। लावण्या ने उसका हाथ पकड़ा और लेकर छत पर बने एक छोटे से दो रुम में चली आई जहां जल्दी कोई आता नहीं था। रेहान ने जब उस कमरे को देखा तो बोला, "यहां क्यों?" लावण्या बोली, "शरण्या और रुद्र! दोनों में से कभी भी टपक सकते हैं और मुझे तुम्हारे साथ थोड़ी नहीं बहुत सारी बातें करनी है। इसलिए मैं नहीं चाहती कि हमें कोई डिस्टर्ब करें। सब लोग नीचे अपने काम में लगे हैं। रूद्र और शरण्या भी अपने-अपने काम में ही लगे होंगे और वह दोनों सोच भी नहीं सकते कि हम दोनों यहां हो सकते हैं। 

   रेहान बोला, "वह तो सही है! लेकिन तुम्हें क्या लगता है, क्या इन दोनों का सॉलिड वाला कुछ चल रहा है? जिस तरह से लड़ते हैं और जिस तरह से एक दूसरे पर हक जताते हैं एक दूसरे को गालियां तक देते हैं, तुम्हें लगता है इन दोनों के बीच कुछ है? मतलब मुझे और रूद्र को पहचानने में कभी कभी माँ भी धोखा खा जाती है लेकिन शरण्या एकदम से रूद्र को पहचान जाती है और यह कोई एक बार नहीं हुआ है। मैंने कई बार देखा है, यही बात रूद्र भी कहता है। इतने अच्छे से तो तुम भी मुझे नहीं पहचानती।" लावण्या शरमाते हुए बोली, "तुम्हें तो मैं पहचान जाती हूं, लेकिन कभी-कभी कन्फ्यूजन हो जाती है। तुम्हारी आंखें जिस तरह मुझे देखती है ना, बस उसी से पहचान जाती हूं तुम्हें। रही बात रूद्र और शरण्या की तो............!" 

     रेहान उसे बीच में टोकते हुए बोला, "हम क्या यहां पर उन दोनों बंदरों के लिए आए हैं? उनसे छुप कर उनके बारे में बात करने आए हैं? मुझे लगा था हम दोनों हमारे लिए आये हैं!" कहते हुए उसने लावण्या को कसकर अपनी बाहों में भर लिया। लावण्या बुरी तरह से शर्मा गई। रेहान उसके चेहरे को अपने एक हाथ से थाम कर बोला, "बरसो इंतजार किया है इस पल का जब तुम मेरी बाहों में होगी! और मै तुम्हें वह सारी बातें कह सकूंगा जो कभी कह नही पाया। जाने कितनी ही बातें हैं तुमसे कहने को। ये मौका का जो आज मिला है, अब वह पूरी जिंदगी का सिलसिला है लेकिन ऐसे छुप कर मिलने का मजा ही कुछ और है। सब से नजरे बचाकर इस तरह अकेले तुम और मैं सिर्फ तुम और मैं, सिर्फ हम दोनों........" 

    लावण्या रेहान की बातों से ही मदहोश हुई जा रही थी। रेहान को अपने इतने करीब पाकर उसने अपनी आँखे बन्द कर ली और खुद को उसके हवाले कर दिया। इस पल का इंतज़ार दोनों कब से कर रहे थे जब दोनो ही अपने प्यार को जी भरकर जी सके। लेकिन रूद्र के रहते ये कहाँ मुमकिन था। इससे पहले कि दोनों करिब आ पाते, रेहान का फोन बज उठा। रेहान झुंझला गया और ये देख लावण्या की हँसी छुट गयी। फोन के दूसरे तरफ रूद्र था जो उन दोनों को ही नीचे बुला रहा था। "अरे मेरे प्यार के पंछी! जिंदगी भर साथ रहना है तुम दोनो को। बाद मे कभी गुटर गु कर लेना अभी अटरिया से नीचे आ जा, नीचे सब तेरा और भाभी का इंतज़ार कर रहे है। रोमांस के लिए पंडित जी ने तुम दोनों को ही एक महीने का टाइम दिया है, उसके बाद भी अगर दिल करे तो कंटिन्यु कर सकते हो दोनों।"

     रूद्र की बात सुन रेहान चिढ़ गया। वहीं लावण्या भी उसे ही देख मुह दबाये हँसे जा रही थी जिसे देख वो और भी ज्यादा चिढ़ गया और बोला, "जब तेरी लाइफ मे ऐसा मोमेंट आयेगा न तब जाकर तुझे समझ आयेगा। तेरा क्या है, अपनी लाइफ का सारा रोमांस तो तु पहले ही कर चुका है। यहाँ मुझे ज्ञान दे रहा है। देख लेना जिस दिन तुझे किसी लड़की से प्यार होगा तब सारे बदले लूंगा तुझ से मै।आ रहा हु थोड़ी देर मे तु फोन रख।"

    रेहान ने फोन रखा और एक बार लावण्या को देखा जो अभी भी हँसे जा रही थी। रेहान जैसे ही बाहर निकलने को हुआ लावण्या उसे रोकते हुए बोली, "ऐसे जाओगे तुम! अपनी हालत तो देख लो पहले!" रेहान कुछ समझा नही तो लावण्या उसके बाल ठीक करते हुए बोली, "अब ठीक है! अब तुम जा सकते हो।" रेहान मुस्कुरा दिया और जाने को हुआ लेकिन दरवाजे तक पहुँचकर वापस आया और बोला, "एक काम तो अधूरा रह गया।" लावण्या ने हैरानी से उसे देखा और पूछा "क्या?" रेहान ने बिना कुछ कहे उसके चेहरे को दोनो हाथों से थामा और उसके होंठ सिल दिये। 



क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरिन भाग था मैम!! 👌👌 विहान तो सच मे मानसी के लिए पूरा डूब चुका है पर मानसी ने अपनी पुरानी यादों को दफनाया देने ऊटी में ही शादी कर ली....!! बेचारा विहान और अब उसने फैसला ले लिया है अपने पापा की ऑफिस जॉइन करने का!! 🙄🙄 और हमारे लव बर्डस रेहान और लावण्या, कितने क्यूट है न ये दोनो!! 😍😍 अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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