ये हम आ गए कहाँ!!! (19)

      शरण्या के घर के रास्ते मे रूद्र ने विहान को कई बार फोन किया लेकिन पूरी रिंग जाने के बाद भी उसने फोन नही उठाया तो वो झल्ला गया। फिर उसने सोचा शायद सो रहा हो! वैसे भी सुबह दोनो की हालत खराब थी। वहीं विहान की आँखो से नींद गायब थी। अपना लैपटॉप में वो नेहा का प्रोफाइल खोले बैठा था। नेहा ने अपने भाई की शादी की सारी तस्वीरें सोशल मीडिया अकाउंट पर डाल रखी थी। विहान उन सभी तस्वीरों मे सिर्फ और सिर्फ मानसी को ढूंढ रहा था। शादी के जोड़े मे मुस्कुराती मानसी किसी राजकुमारी से कम नही लग रही थी। वो एक मिडल क्लास फैमिली से थी लेकिन उसकी पर्सनालिटि किसी को भी अपनी तरफ खींच लेती। तभी तो विहान भी उसके जादू से बच नही पाया था। 

     अपनी मानसी को किसी और के साथ देख विहान को तकलीफ हो रही थी। वहीं था जिसने उसे खुद से दूर किया था। सिर्फ एक उसकी बेवकूफी की वजह से उसने वह खोया जो उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी था। आज अपने हर तकलीफ की वजह वह खुद था और अपना दर्द वो किसी को बता भी नहीं पा रहा था। अमित के साथ उसे मुस्कुराता देख विहान का दिल किया कि वह अभी जाकर अपनी मानसी पर हक जता आये और उसे अपनी जिंदगी में वापस ले आए लेकिन क्या वह उसके पास वापस आना चाहेगी? शायद नहीं! अगर ऐसा होता तो पिछले 2 सालों में उसने कभी तो मुड़कर देखा होता लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। वही विहान ने उसे ढूंढने में दिन रात एक कर दिया। हर सोशल मीडिया साइट पर उसे ढूंढा। सिर्फ नाम के अलावा उसे कुछ नहीं पता था। सोशल मीडिया साइट पर जितने भी मानसी नाम की लड़की थी, उन सब की प्रोफाइल चेक की, इस उम्मीद के साथ कि कोई एक तो होगी जो उसकी मानसी होगी! लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मानसी तो जैसे गायब सी हो गई, कुछ इस तरह मानो वो इस दुनिया में ही ना हो और मानसी सिर्फ उसकी कोरी कल्पना हो। रूद्र को वह बताता भी तो क्या? कि उसे प्यार हो गया और वह भी एक साधारण से दिखने वाली लड़की से, जो आजकल की लड़कियों की तरह मॉडर्न नहीं है। साधारण से पहनावे में भी वह बाकी लड़कियों से भी ज्यादा खूबसूरत लगती थी। उसने एक-एक कर उसकी सारी तस्वीरें प्रिंटर से निकाली और हर एक तस्वीर में से अमित के तस्वीर काटकर अलग कर दिया। अब उसके पास सिर्फ मानसी की ही तस्वीरें थी उसने उन तस्वीरों को प्यार से देखा और इस तरह छुआ जैसे वह खुद मानसी के चेहरे को छू रहा हो। 


     रुद्र जब रॉय हाउस पहुंच तो गाड़ी उतर कर कुछ देर के लिए दरवाजे पर ही ठिठक गया। अनन्या और ललित दोनों ही दरवाजे पर खड़े सब का इंतजार कर रहे थे। रूद्र सबसे पीछे खड़ा था। सारे लोग अंदर चले गए लेकिन रुद्र अंदर जाने की बजाए चुपके से पीछे गार्डन की ओर गया जहां से ठीक ऊपर शरण्या का कमरा था। उसने चारों ओर नजर दौड़ाई और वहां किसी को ना पाकर पाइप के सहारे ऊपर चढ़ गया। वो बस देखना चाहता था कि शरण्या अपने कमरे में इस वक्त क्या कर रही होगी, क्योंकि उसे पता था अब तक शरण्या को उसके आने की खबर लग गई होगी इसीलिए वह अपने कमरे में बैठी होगी ताकि उससे सामना ना हो पाए। 

     बालकनी में ऊपर चढ़ते ही रूद्र ने एक बार नीचे झांक कर देखा तो एक पल को उसका सर चकरा गया। उसने मन ही मन सोचा, "अबे इतनी ऊंचाई से कूदा था मैं? वह तो अच्छा था मैं थोड़े नशे में था वरना यही खड़े-खड़े ऊपर निकल लेता। इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता भगवान! एक भी गुण दिया होता उसमें जो लड़कियों जैसा हो! क्या सोचकर इसको लड़की बनाया आपने? सोचते हुए रूद्र बालकनी पारकर कमरे के दरवाजे की ओट में छुप गया और एक बार अच्छे से अंदर झांकने लगा लेकिन उसे शरण्या कहीं नजर नहीं आई। वह अंदर कमरे में गया और चारों ओर देखने लगा। बाथरूम में पानी की आवाज सुन वह समझ गया की शरण्या अंदर बाथरूम में है। 


      सब लोग जब अंदर घर में पहुंचे तो वहां पंडित जी पहले से ही मौजूद थे। उन्हें देखते ही शिखा और धनराज ने उनके सामने हाथ जोड लिए और शिखा बोली, "हमें आने में देर तो नहीं होगी अनन्या! पंडित जी तो हम से पहले ही यहां पहुंच चुके हैं।" अनन्या बोली, "बिल्कुल नहीं शिखा! पंडित जी अभी-अभी आए हैं। रेहान और लावण्या की कुंडली तो पहले ही हमने भिजवा दी थी, उन्हीं के बारे में कुछ बात करनी थी शायद इसलिए पंडित जी थोड़ा जल्दी आ गए।" फिर वह धनराज और रिहान की तरफ देखते हुए बोली, "आप लोग भी बैठे ना! पहले कुछ चाय नाश्ता, उसके बाद हम लोग आराम से पंडित जी की सारी बातें सुनेंगे।" कहते हुए अनन्या ने सबके लिए नाश्ता टेबल पर लगवा दिया। रेहान ने शिखा से धीरे से पूछा, "ये रूद्र कहां गया? इसका भी ना कोई भरोसा नहीं रहता, कब क्या करता है कहां जाता है?" शिखा बोली, "आता ही होगा वह! यहां आने के लिए उसने मना नहीं किया आज और चुपचाप तैयार हो गया। इसीलिए अब उसके पीछे हाथ धोकर पड़ना बंद कर दे। तेरी शादी की बात करने आए है। अब तुझे उससे नहीं बल्कि लावण्या से मतलब होना चाहिए। उसे उसकी जिंदगी जीने दे, उसकी लगाम मेरे हाथों में है तो तू निश्चिंत रह।"

     इतने में लावण्या अपने कमरे से निकली और झांक कर नीचे हॉल की तरफ देखा जहां रेहान पहले से ही वहां मौजूद था। उसे वहां अकेले देख लावण्या कंफ्यूज हो गई कि यह रूद्र है या रेहान? लेकिन जैसे ही रेहान की नजर लावण्या पर गई उसने मुस्कुराकर नजरें झुका ली जिससे लावण्या समझ गई और वह भागती हुई शरण्या के कमरे की ओर गई जहां शरण्या अभी अभी बाथरूम से बाहर निकली थी और रूद्र वही उसके कमरे में पर्दे की ओट में छुपा था। लावण्या ने जैसे ही दरवाजे पर दस्तक दी शरण्या बोली, "दी....! अभी मैं तैयार हो रही हूं। बस 5 मिनट में आई, आप चलो तब तक। वैसे भी कौन सा पहली बार आप उनके सामने जा रहे हो " लावण्या बोली, "तू चल ना मेरे साथ प्लीज! मुझे अकेले जाने में अजीब सा लग रहा है। तू होगी साथ में तो अच्छा भी लगेगा।"

      शरण्या चिढ़ते हुए बोली, "तो मेरे साथ होने से अच्छा लगेगा आपको? मेरे साथ से अच्छा नहीं लगेगा! जिसके साथ आपको अच्छा लगेगा वह तो नीचे बैठे हुए है। जाइए और मिलिए उनसे, मैं अभी नहीं आने वाली। अब आप जाओ जल्दी मुझे भी तैयार होना है और मैंने अभी कपड़े भी नहीं पहने हैं। मुझे आराम से तैयार होने दो, वरना 5 मिनट के बदले आधे घंटे लगेंगे निकलने में तो फिर सोच लेना! आधे घंटे तक आपको आपके रेहान जी का इंतजार करना पड़ेगा। लावण्या बोली, "तेरा कुछ नहीं हो सकता! मैं जा रही हूं अकेले ही!" और पैर पटकते हुए वहां से निकल गए। शरण्या इस वक्त अपने बाथरॉब में थी और अपने बाल सुखा रही थी। अपने बाल सुख आते हुए वह धीरे-धीरे बालकनी की ओर आई ताकि अपने बालों में थोड़ी धूप लगा सके। रूद्र भी वहीं खड़ा उसे देख रहा था। शरण्या को जरा सा भी एहसास नहीं हुआ कि उसके कमरे में कोई मौजूद है। 

      शरण्या अपने बालों को झटक कर पीछे मुड़ी, सामने रूद्र को खड़ा देख एकदम से घबरा गई और दो कदम पीछे हटी जिससे वह थोड़ी लड़खड़ाई और खुद को संभालने के लिए उसने बालकनी के पर्दे को पकड़ लिया। रूद्र ने उसे गिरने से बचाना चाहा जिसे पर्दे पर उन दोनों का वजन पड़ा और पूरा पर्दा टूट कर उन दोनों के ऊपर आ गिरा जिसमें दोनों ही उलझ कर रह गए। शरण्या उसे देखते ही चौंक पड़ी। उसे लगा शायद उसका भ्रम हो लेकिन इस वक्त रूद्र ने उसे थाम रखा था और वह दोनों ही पर्दे में बुरी तरह से उलझे हुए थे। शरण्या ने खुद बाहर निकालने के लिए हाथ-पैर मारे और बाहर निकलने की पूरी कोशिश की लेकिन रूद्र ना जाने कहां खोया हुआ था। 

     रूद्र को अपने इतने करीब पाकर शरण्या के दिल की धड़कन बढ़ गई लेकिन इसके बावजूद खुद को संभालते हुए चिल्लाई, "यहां क्या कर रहा है? मेरे कमरे में तुझे घुसने की आदत हो गई है क्या? इस तरह बालकनी से चलकर मेरे कमरे में आने की बजाए सीधे-साधे रास्ते से तू आ नहीं सकता है क्या? पिछली बार तो पी रखी थी तुने! अभी भी चढ़ा रखी है क्या? सुबह सुबह ही पीने लगा है ना तू? रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "फिलहाल तो सुबह-सुबह मैंने तुझे अपने ऊपर चढ़ा रखा है। यकीन ना हो तो खुद देख ले!" रूद्र की बातों का मतलब समझ शरण्या उसके सीने पर मारते हुए बोली, "तु कभी नहीं सुधर सकता ना? कल रात किसके साथ था तू जो अभी भी उतरी नहीं है तेरी? तेरी आंखें बता रही है!" 

      "मेरी आंखों को देखकर समझ जाती है ना तु!!! तो यह भी जान लें मेरी आंखों में तेरी नाराजगी है, बहुत सारा गुस्सा है। यही बताने आया था मैं यहां और जब तक तु मुझे मनायेगी नहीं तब तक मैं तुझे याद दिलाता रहूंगा कि मैं तुझ से बहुत नाराज हूं। किस बात से यह तो मुझे नहीं पता लेकिन मैं बहुत ज्यादा नाराज हूं और यह बात तो अपने दिमाग में फिट कर ले।" रूद्र की बातें सुन शरण्या को समझ नहीं आया कि वह कहे क्या! कल जो कुछ हुआ उसके लिए नाराज है या फिर किसी और बात के लिए यह तो खुद रूद्र को भी नहीं पता था तो शरण्या कहां से समझती। उसने एक बार फिर वहां से उठने की कोशिश की तो रूद्र ने उसे अपनी ओर खींच लिया और बोला, "वैसे तु नहाती किस साबुन से है? मुझे बता! अपनी गर्लफ्रेंड को बताऊंगा", कहते हुए उसके हाथ शरण्या के पैरों पर लहरा गए जिससे शरण्या के पूरे शरीर में एक झनझनाहट सी दौड़ गई। उसने रूद्र को धक्का मारा और जैसे तैसे बाहर निकल बाथरूम की ओर भागी। रूद्र भी मुस्कुराता हुआ वहां से बालकनी के रास्ते बाहर निकल गया। 

      

       रेहान और लावण्या की कुंडली पहले ही पंडित जी के पास थी जिसे उन्होंने पुरोहित जी को दिखाया था जो उनके गुरु भी थे और एक ज्योतिष भी। पंडित जी ने कहां, "दोनों बच्चों की कुंडलियां मैंने गुरु जी को दिखाएं है। उन्होंने बाकी दोनों बच्चों की कुंडलियां भी मंगवाई है। खासकर के रूद्र की और अगर शरण्या के कुंडली हो आप के पास तो अभी दे दीजिए, बेहतर होगा।" शिखा घबराते हुए बोली, "पंडित जी!!! क्या बात है, सब ठीक तो है? ऐसे अचानक गुरु जी ने बच्चों की कुंडलियां मंगवाई? जरूर कोई खास बात है। हमारे बच्चे ठीक तो है ना? पुरोहित जी इस तरह बच्चों की कुंडलियां कभी नहीं मंगवाते हैं। अगर उन्होंने मंगवाई है तो जरूर कोई खास बात होगी।"

       पंडित जी उन्हें शांत कराते हुए बोले, "जरूरी नहीं कि अगर गुरु जी ने बच्चों की कुंडलियां मंगवाई है तो कोई हादसा ही होगा! कुछ अच्छा भी हो सकता है या फिर कुछ बहुत अच्छा। अभी हम पहले से अनुमान नहीं लगा सकते। कुंडलियों में और हाथों की लकीरों में जो लिखा है हम बस उनका अनुमान भर लगा सकते हैं। जो होना है वह तो ऊपर वाले की मर्जी से होकर रहेगा फिर चाहे हमें पहले से इसका पता हो या ना हो। हम अपनी किस्मत नहीं बदल सकते और ना ही अपने बच्चों की। गुरु जी कहते हैं, हमारे कर्म कि हमारे भाग्य बनाते हैं और कभी-कभी हमारे भाग्य हमें ऐसे कर्म करने पर मजबूर कर देते हैं। दोनों ही समानांतर चलते हैं तभी तो इसे जीवन कहते हैं जिसे पहले से ही समझना असंभव सा होता है। आप चिंता ना करें, गुरुजी ने बस उनकी कुंडलियां मंगवाई है और रुद्र की इसलिए क्योंकि रेहान और रूद्र दोनों जुड़वा है। जैसा कि उन्होंने पहले ही कहा था, दोनों में से एक मेष राशि के और दूसरा मीन राशि के! यही कारण है कि उन दोनों का ही व्यक्तित्व एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न है। एक दूसरे से एकदम उलट। इसके बावजूद दोनों भाइयों में प्यार बहुत ज्यादा है लेकिन अब जब रेहान की शादी तय हो रही है ऐसे में रुद्र की कुंडली देखना भी बहुत जरूरी है। आपके दोनों बेटे ना सिर्फ जन्म से जुड़े हैं बल्कि कर्म से भी जुड़े हैं। अब एक की जिंदगी में कोई बदलाव आता है तो इसका सीधा असर दूसरे की जिंदगी पर भी पड़ेगा। बस यही गुरुजी जानना चाहते हैं। हम और आप बस भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं कि चाहे जो भी बदलाव हो, जो भी असर हो, वह सब शुभ हो! दोनों बच्चों के लिए भी और दोनों परिवारों के लिए भी।"

      

     

      

  क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 रुद्र तो अब अपनी साकाल के सामने जाने से बिल्कुल नही घबराता...!! पाइप चढ़कर सीधे पोहच गया और उसे बता भी दिया के नाराज है वो..!! 😃😃 और उन दोनों के सीन्स कमाल थे!! 😍 वैसे अब तो पंडित जी की बातें सुनकर मुझे भी हल्की घबराहट हो रही है, बस सब अच्छा हो...!! 😊😊

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