ये हम आ गये कहाँ!!! (18)

      सुबह की तेज धूप जब उन दोनों के चेहरे पर पड़ी तब जाकर उन दोनों को ही होश आया। वह दोनों अपनी आंखें मलते हुए और सर पकड़े हुए उठे। रूद्र ने जब आंखें खोली तो खुद को शहर से काफी दूर एक सुनसान पहाड़ी जैसे इलाके पर पाया और विहान भी उसके साथ ही था। कल रात क्या हुआ उसे कुछ याद नहीं, बस इतना याद था कि वह अकेला बार में बैठा पी रहा था। ना जाने उसे क्या हुआ था! शरण्या की वजह से वह इतना ज्यादा डिस्टर्ब था कि उसने इतनी ज्यादा पी ली। जबकि वह एक से दो पैग, उससे ज्यादा कभी नहीं पीता था क्योंकि नशा उसे पसंद नहीं था। यही हाल विहान का भी था। उसे लगा शायद विहान उसे यहां लेकर आया होगा तो वह उसे झकझोरते हुए बोला, "साले अगर मैंने इतनी ज्यादा पी रखी थी तो कहीं और ले जाता, किसी होटल में ही छोड़ देता! यहां लेकर क्यों आया? इतना ज्यादा सर दर्द हो रहा है अभी! क्या करूं मैं?, कुछ कर! तेरे पास कुछ हो तो दे मुझे।"

    विहान खुद अपना सर पकड़े हुए था। उसे भी कल रात का कुछ होश नहीं था। उसने तो रूद्र से भी ज्यादा पी रखी थी। वह बोला, "मुझे क्या पता मैं यहां कैसे आया! हम दोनों यहां कैसे आए? शायद तु मुझे लेकर आया पता नहीं! तू तो खुद टल्ली था, फिर हम दोनों यहां पहुंचे कैसे मुझे खुद नहीं पता यार! क्या हुआ कल रात, तेरे पास कुछ हो तो दे मुझे, सर दर्द से फटा जा रहा है। इतना सर दर्द पहले कभी नहीं हुआ। लगता है कल रात को ज्यादा ही चढ़ गई थी। तुझे क्या पड़ी थी यार कंपटीशन लगाने की! तेरे दो के चक्कर में मैं पता नहीं कितने पी गया।" तभी उसकी नजर अपने पास पड़े व्हीस्की की दो बोतल पर गई जिससे देख वह बोला, "अबे बार में जितना पिया उतना काफी नहीं था जो तूने दो बोतल उठा ली! ऐसा क्या हो गया तुझे जो इतनी ज्यादा पीनी पड़ी तुझे? दिल टूटा क्या तेरा? तेरी गर्लफ्रेंड भाग गई क्या? अब तुझे प्यार तो नहीं हो गया मेरे भाई जो उसकी याद में देवदास बना हुआ था?"

     रूद्र उसे मारते हुए बोला" सुबह-सुबह बकवास करके मेरा सर दर्द मत बढ़ा! ये प्यार व्यार के चक्कर में मैं नहीं पड़ता यार! बहुत तकलीफ होती है। जरूरी तो नहीं कि हम जिससे प्यार करें वह हमें मिल जाए। अक्सर ऐसा ही होता है यार, जिसे हम प्यार करते हैं वह किसी और को प्यार करते हैं जिससे वह प्यार करता हैं वह किसी और को प्यार करता है। दुनिया ना एक के पीछे एक लगी रहती है इसलिए बेहतर की किसी से प्यार ही ना करो। खैर इस मामले में हम दोनों ही लकी है जो हमें किसी लड़की से प्यार नहीं हुआ वरना दोनों की हालत इससे भी बुरी होती।" कहते हुए उसके आंखों के सामने शरण्या का चेहरा घूम गया। वही विहान भी मानसी के बारे में सोचने लगा। जिससे उसका रात का सारा नशा एक बार में उतर गया। 

      रुद्र के सिर में अभी भी दर्द था। विहान ने उसे गाड़ी में बैठाया और लेकर वापस घर की ओर चल दिया। उसके दिमाग में अभी भी कई सारी पुरानी बातें घूम रही थी। काफी देर तक ड्राइव करने के बाद उसने गाड़ी रोकी तो रूद्र ने चौकते हुए कहा, "अबे हम लोग यहां क्यों आए हैं? हमें तो घर जाना था ना! तू कब से नेहा के घर रहने लगा?" विहान को एक झटका सा लगा। उसे तो अपने घर जाना था लेकिन वह यहां था, मानसी के घर के दरवाजे पर। वह अपने जेहन से मानसी का ख्याल निकाल ही नहीं पा रहा था। उसके बारे में सोचते सोचते अंजान मे उसके घर के दरवाजे तक आ पहुंचा था जो कि उसका ससुराल था और उन दोनों के बीच एक गहरी खाई थी जिसे पार करना शायद नामुमकिन सा था। विहान ने एक गहरी सांस ली और गाड़ी घर की ओर मोड़ दी। 



     आज घर पर पंडित जी आने वाले थे। लावण्या और रेहान की सगाई की तारीख निकालने के लिए लेकिन अनन्या ने फोन कर शिखा को बताया उन लोगों ने पंडित जी को अपने घर बुलाया है और आज अपनी बेटी के ससुराल वालों को भी। यह सब कहते हुए अनन्या के आवाज में जो खुशी थी उसे शिखा बखूबी महसूस कर रही थी। उसने भी बिना किसी टालमटोल के आने की हामी कर दी। शिखा ने जल्दी से कई तरह की मिठाइयां और अपनी बहू के लिए कपड़े और गहने की थाल सजाकर रखा। रेहान तो पहली बार इतना ज्यादा खुश था। उसे इतना खुश देखकर शिखा ने सबसे पहले उसकी नजर उतारी फिर उसकी बलाए लेते हुए नीचे चलने को कहा। वहां से जब रुद्र के कमरे में गई तो वो अपना सर पकड़े बैठा था। उसे देख शिखा बोली,"क्या हो गया आज तुझे? इतना सर में दर्द क्यों है?"

     अपनी मां को इस तरह अचानक से अपने कमरे में देख रुद्र सकपाका गया। उसे अच्छे से पता था कि उसकी मां उसे देखते ही सब समझ जाएगी। वह अपनी नजरें चुराते हुए बोला, "कुछ नहीं मां बस ऐसे ही! शायद रात को ठीक से सोया नहीं इसलिए सर दर्द हो रहा है। मैं अभी नहा लूंगा तो बिल्कुल ठीक हो जाऊंगा।" कहते हुए उसने अलमारी से टॉवल निकाला और बाथरूम में जाने को हुआ लेकिन शिखा उसे रोकते हुए बोली, "नहाने से ही सर दर्द नहीं जाएगा रूद्र! मैं तुम्हारे लिए नींबू पानी भिजवाती हूं।" कहकर वह जाने लगी तो रुद्र उसका हाथ पकड़ते हुए बोला, "माँ! सॉरी!! माफ कर दीजिए! मैंने जानबूझकर नहीं पिया। आप जानती है मुझे नशा करना अच्छा नहीं लगता। लेकिन पता नहीं कैसे........विहान भी नहीं पीता लेकिन पता नहीं हम दोनों क्या हो गया था कल। मैं वादा करता हूं, आज के बाद कभी ऐसा नहीं होगा, प्लीज माँ! माफ कर दीजिए! प्लीज!!"कहते हुए रूद्र ने शिखा के कंधे पर अपना सर रख दिया। 

      शिखा प्यार से उसका चेहरा छू कर बोली, "कोई बात नहीं! होता है कभी-कभी, लेकिन इतना ज्यादा कि तेरे सर में इस तरह का दर्द हो, यह मैं आइंदा बर्दाश्त नहीं करूंगी। एक बार हो गया हो गया, आइंदा ऐसा नहीं होना चाहिए। तु समझ रहा है? अब चल जल्दी से फ्रेश हो जा, लावण्या के घर जाना है। पंडित जी वही आएंगे, तेरी कुंडली भी तो दिखानी है। मैं भी तो जानू कि मेरी किस्मत में दोनों बहुए हैं या फिर एक दामाद भी!? 

     रुद्र किसी बच्चे की तरह चिल्लाया, "मां.......आप भी ना....! सब मैंने सिर्फ मजाक किया था वो भी सिर्फ रेहान और लावण्या के लिए। मेरा इस समय कोई रोल नहीं है और अगर आपकी किस्मत में एक दामाद लिखा है ना आपका लाडला बेटा लेकर आएगा, मैं नहीं।" शिखा मुस्कुराते हुए बोली, "अच्छा!!! तो मेरा लाडला बेटा तो तू ही है! इसका मतलब तू मेरे लिए दमाद लेकर आएगा? हां वैसे सही भी है, शरण्या कौन सी लड़की है तेरे लिए? वो तो लड़का ही है ना!" अपनी मां के मुंह से एक बार फिर अपनी ओर शरण्या के रिश्ते को लेकर बात करते देख रूद्र बोला, "माँ प्लीज! आपको भी उसके अलावा और कोई नहीं दिखता ना! वह मेरे साथ किस तरह से बर्ताव करती है आप अच्छे से जानती है। उसका बस चले तो मुझे अपना पंचिंग बैग बना ले और दिन भर मेरे ऊपर प्रैक्टिस करें।"

     अगर ऐसी बात है तो सच सच बता, कल तू शरण्या से इतना नाराज क्यों था? अचानक से ऐसा क्या हुआ जो तेरा मूड बदल गया और तू इतना गुस्सा हो गया? तू तो शरण्या के सामने भी नहीं जाना चाहता था, फिर कल अचानक तु उसके पीछे पीछे क्यों भागा? कुछ तो है रूद्र जो तुम दोनों के बीच है। तुम दोनों जितना लड़ते हो ना उतने ही एक दूसरे की परवाह भी करते हो। यह तुम लोग मानो या ना मानो लेकिन मैं अच्छे से समझ रही हूं और देख रहे है। अगर तेरे दिल में शरण्या को लेकर जरा सी भी कोई भी फीलिंग है तो बता मुझे! क्योंकि शरण्या के लिए रिश्ता आया है और लड़के ने खुद आगे बढ़कर ललित भाई साहब से शरण्या का हाथ मांगा है। अब सब कुछ शरण्या के हाथों में है। अगर उसने हां कह दी तो यह रिश्ता पक्का हो जाएगा और शरण्या शादी करके किसी और की हो जाएगी, तु समझ रहा है मैं क्या कह रही हूं?"

      शिखा की बात सुन रूद्र खामोश हो गया। एक अजीब सी उलझन उसके दिल में थी। जो एहसास उसके दिल में था उसे वह कहे या ना कहे! शिखा उसके चेहरे पर आ जा रहे हर भाव को पढ़ने की कोशिश कर रही थी। रूद्र को ऐसे सोचता देख उसे इतना भरोसा तो हो गया कि रुद्र के दिल में शरण्या के लिए कुछ है जिसे वो अभी तक समझ नहीं पा रहा है। इस एहसास को मजबूत होने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन कहीं बहुत देर ना हो जाए यह सोच कर शिखा के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई। लेकिन रूद्र कहां यह सब कुछ एक्सेप्ट करने वाला था, उसने शिखा को झिड़कते हुए कहा, "मां आप भी ना! पता नहीं कहां-कहां से सारी बातें सोच लेते हैं! मेरे मन मे ऐसा कुछ नहीं है और अगर उसके लिए रिश्ता आया है ना तो फिर कर ले वह शादी! आप जानती भी है वह कितना मारती है मुझे! पता नहीं किस बात का गुस्सा रहता है उसे जो जब देखो तब मुझ पर हाथ साफ करती रहती है। शादी हो जाएगी उसकी, चली जाएगी यहां से तो मुझे थोड़ा सुकून मिलेगा। जब तक वो यहां है, लगता है जैसे मेरे सर पर तलवार लटकी हो। मैडम कब किस बात पर नाराज हो जाएंगी पता ही नहीं चलता। कुछ भी करता हूं दिमाग में यह रहता है कि कहीं वो नाराज ना हो जाए। वह तो मेरी हर बात से नाराज हो जाती है। पता नहीं उसे खुश रखने का तरीका क्या है? ऐसा क्या करूं जिससे उसे अच्छा लगे। इतनी गुस्सा क्यों होती है मां कभी खुलकर नहीं कहेगी लेकिन चाहेगी कि उसके बिना कहे हर कोई उसकी बात समझ ले! ऐसा भी होता है क्या? आप जल्दी जाओ मैं तैयार होकर आता हूं वरना वहां जाने के लिए देर हो जाएगी और देर हो गई तो फिर से शरण्या मैडम गुस्सा हो जाएंगी।" कहकर वो जल्दी से बाथरूम में घुस गया। शिखा के चेहरे पर एक अजीब से भाव उभर आए। उसे इस बात की खुशी थी कि रुद्र के मन में शरण्या के लिए कुछ एहसास है लेकिन वही शरण्या के लिए जो रिश्ता आया है कहीं शरण्या उसके लिए हा ना कर दे! 

     रूद्र बाथरूम में खड़ा कल के उन लम्हों को याद कर रहा था जब वो और शरण्या एक साथ थे। अभी जो कुछ भी शिखा ने कहा वो सारी बातें उसके दिमाग में एक साथ घूम रही थी। क्या करना है क्या नहीं उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। जहां तक हो सके वह शरण्या से दूर रहना चाहता था लेकिन वक्त और हालात उसे उसके करीब लेकर जा रहे थे और वो खुद चाह कर भी शरण्या से दूर नहीं जा पा रहा था। उसके करीब आना अब उसे अच्छा लगने लगा था। शायद बहुत पहले से!!! वरना वो शरण्या इतना कभी नहीं डरता। उसे तो बस उसकी नाराजगी से फर्क पड़ता था। वरना शरण्या के हाथों से कभी उसे चोट लगी ही नहीं। शरण्या अपना गुस्सा उतारने के लिए ही रूद्र को अपना पंचिंग बैग बनाती थी और रुद्र भी खुशी खुशी उसे ऐसा करने देता था ताकि वह अपना सारा गुस्सा उसके ऊपर उतार दे और अपने मन में कोई बात दबाकर ना रखें। अपने सारे ख्यालों को एक तरफ रख उसने शावर ऑन किया और नहा कर निकला। नहाने के बाद उसे काफी बेहतर लग रहा था। सामने टेबल पर शिखा पहले ही उसके लिए नींबू पानी रखवा चुकी थी जिसे पीने के बाद रुद्र का हैंगओवर पूरी तरह से उतर गया। वो जल्दी से तैयार हुआ और नीचे उतर गया। शिखा तब तक सारा सामान गाड़ी में रखवा चुकी थी। आज लावण्या के घर जाने में रूद्र को जरा सा भी डर नहीं लग रहा था, उसे तो बस एक नजर शरण्या को देखना था। 

    

     

      



क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. Bahut hi mazedaar khubsurat superb 👌mind blowing 🤯👌👏😍😀😄

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  2. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 विहान तो बुरी तरीके से मानसी के ख्यालों में उतर चुका है के गाड़ी भी उसी के घर तक ले गया...!! 🙄🙄 और रुद्र जल्दी से समझ जाए अपनी दिल की बातें तो एकदम सही है वरना सीखा जी की तरह मुझे नही डर लग रहा है के देरी हो गई तो...?! 😶 पर कुछ अच्छा ही होगा जो होगा,, अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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