ये हम आ गए कहाँ!!! (15)

     रेहान ने सबके सामने जिस तरह से लावण्या को प्रपोज किया था उसे देखकर शरण्या कंफ्यूज सी हो गई। उसने रूद्र को घूर कर देखा जो उन दोनों लव बर्ड्स को देख कर मुस्कुराए जा रहा था। "इसका मतलब यह रूद्र उस दिन लावी दी के बारे में जो कुछ कह रहा था वह रेहान के लिए था! मतलब मैंने गलत समझा उसे?" तभी रूद्र की नजर शरण्या पड़ गई जो कि सोच में डूबी हुई थी। उसे इस तरह सोचता देख रूद्र समझ गया कि वह उस दिन के अपने बिहेवियर के लिए शर्मिंदा है। शरण्या की नजर जैसे ही रुद्र से मिली उसने आंख मार दी और यह समझा दिया कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। आखिर बालकनी से कूदना कोई छोटी मोटी बात नहीं थी। रूद्र के इस हरकत से शरण्या घबरा सी गई और वहां से उठकर किसी को बिना कुछ कहे ऊपर गेस्ट रूम में चली गई। 
        इधर धनराज को भी लगा कि जैसे शिखा की दिल की चाहत थी लावण्या उसके घर की बहू बने, वैसे ही इसके लिए जब रेहान ने अपने दिल की बात कह दी थी तो उन्हें लगा अब इस मामले में एक पहल उन्हें भी करना चाहिए तो वह ललित के सामने गए और उसका एक हाथ पकड़ते हुए बोले, "तुम्हारी बेटी अगर मेरे घर की बहू बने इससे बड़ा सौभाग्य और कुछ नहीं होगा मेरे लिए। रेहान प्यार करता है उससे और शादी करना चाहता है। मैं और शिखा, हम दोनों ही उसे अपनी बहू बनाना चाहते हैं। उम्मीद करता हूं तुम्हें और भाभी जी को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं होगा। मेरे बेटे को तो तुम जानते ही हो, अच्छे से पहचानते हो, कोई बुराई नहीं है उसमें। सीधा शरीफ है समझदार है और जैसा कि मैंने पहले भी कहा था मुझे अपने बेटे के लिए एक परफेक्ट लड़की चाहिए और लावण्या से बेहतर कोई और हो ही नहीं सकता।"
    ललित ने भी उसके हाथ को अपने दूसरे हाथ से पकड़ते हुए कहा, "अगर हमारी दोस्ती रिश्तेदारी में बदलती है तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है! इस बारे में तो मैंने सोचा ही नहीं था! रेहान तो अपना बच्चा है, उसके बारे में तुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। सच कहूं तो मेरे मन में एक बार भी इस बारे में ख्याल आया होता तो मैं कभी ऐसे रिश्ते के लिए तुझे कहता ही नहीं और खुद रिश्ता लेकर आता तेरे घर। जानता हूं! तेरे घर से बेहतर ससुराल मेरी बेटी को मिल ही नहीं सकता। मुझे पूरी उम्मीद है कि अनन्या को भी इससे कोई एतराज नहीं होगा। आखिर वह मां है उसकी, इस बारे में फैसला लेने का हक जितना मेरा है उतना ही उसका भी है। अनन्या! अब आप ही बताओ इस बारे में आप क्या कहती हैं?"
     अनन्या ने एक नजर रेहान और लावण्या को देखा फिर बोली, "यह फैसला उन्हें लेना चाहिए जिन्हें साथ रहना है। हम तो बस उनके इस फैसले में रजामंदी दे सकते हैं। आखिर मां-बाप की खुशी बच्चों की खुशी में ही होती है, अब जब वह दोनों खुश है तो हमें कोई एतराज नहीं होना चाहिए। लेकिन इस सबसे पहले मैं लावण्या से उसकी राय जानना चाहती हूं कि वह क्या चाहती है? रेहान ने तो अपनी बात कह दी, हम सब ने भी अपनी बात कह दी लेकिन इस सब में हम लावण्या की मर्जी को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते।" सबकी नजर एकाएक लावण्या की तरफ घूम गई कि आखिर वह क्या फैसला लेगी? रेहान भी अपने दिल की बात उसे बता कर यह जानना चाहता था कि अब तक उसने जो कुछ भी महसूस किया था लावण्या की आंखों में, जो कुछ भी उसने देखा था क्या वह सब सही था या फिर एक भ्रम! क्या लावण्या इस रिश्ते के लिए हां कहेगी? अब तक तो उसने कभी इस बारे में पूछा भी नहीं और ना कभी हिम्मत हुई और आज इस तरह सबके सामने अपने दिल की बात रख दी, बिना यह जाने कि लावण्या उसके बारे में क्या सोचती है! उसने आस भरी नजरों से लावण्या की ओर देखा जो कि अभी भी सर झुकाए खड़ी थी। "लावी बेटा! क्या आप इस रिश्ते के लिए तैयार है? क्या आपको रेहान पसंद है? क्या आप उससे प्यार करती हैं?" अनन्या के पूछने पर उसने कुछ नहीं कहा सिर्फ हां में सर हिला दिया। रिहान को तो जैसे पूरी दुनिया मिल गई हो। 
    इससे पहले कि कोई उन दोनों को इस रिश्ते के जूड़ने पर बधाई या मुबारकबाद दे पाता, उससे पहले ही रूद्र उन दोनों के बीच कूद पड़ा और दोनों को अपने बाहों से थाम कर बोला, "सबसे पहले तुम दोनों को मुझे थैंक्यू बोलना चाहिए। तुम्हें पता भी है! तुम दोनों के लिए मैं अपनी जान हथेली पर लेकर गया था तुम्हारे घर, लेकिन तुम्हारी बहन में मुझसे बालकनी से नीचे फेंक दिया था यार! तुमसे बात तक नहीं करने दी थी उसने मुझे और तुम्हें तो पता ही है तुम्हारी बहन मेरे साथ क्या करती है। लावण्या ने प्यार से उसका चेहरा सहलाया और इससे पहले कि वह कुछ बोलती, रेहान बोला, "बिल्कुल ठीक किया उसने! बहुत समझदार है वह! उसे अच्छे से पता है किसके साथ कैसा सलूक किया जाता है और तु उसी के लायक था। ये तो उसकी शराफत थी कि उसने तुझे बालकनी से फेंका, अगर उसकी जगह मैं होता तो सीधे छत से फेंक देता तुझे। तूने जो यह हरकत की है मेरे साथ, मुझ पर क्या गुजरी है ये मैं ही जानता हु! कभी किसी लड़की को नजर उठा कर नहीं देखा मैंने और तूने डायरेक्टली मेरे कैरेक्टर पर ही उठा दी। मां!!! आपकी छड़ी कहां है? मुझे आज वह चाहिए! इससे तो मैं छोडूंगा नहीं।" रूद्र के इरादे तो बिल्कुल सही थे लेकिन जो कांड उसने किया था उससे रेहान बहुत ज्यादा नाराज था और जी भर के उसकी पिटाई करना चाहता था। 
     इससे पहले कि रेहान के हाथ कोई छड़ी लगती या फिर ऐसा कुछ आता जिससे वह रूद्र को मार सके, रूद्र मौका पाते ही वहां से भाग निकला और ऊपर चला आया। वह तो कब से इस मौके की तलाश में था। शरण्या अभी भी ऊपर कमरे मे ही थी। रूद्र कमरे मे आया और उसने मौका पाते ही अंदर से कमरे को लॉक कर दिया। शरण्या इस वक्त वॉशरूम में थी और दरवाजा बंद नहीं था। रूद्र ने हल्के से दरवाजे पर दस्तक देनी चाहि लेकिन तब तक पानी की आवाज आनी बंद हो चुकी थी। उस अच्छे से पता था कि अब शरण्या बाहर आएगी। दरवाजे तक बढ़ते उसके कदमों की आहट से रूद्र जान गया कि अब वह बस दरवाजा खोलने ही वाली है। इससे पहले शरण्या दरवाजा खोल पाती, रूद्र ने एक झटके से बाथरूम का दरवाजा पूरी तरह से खोल दिया और अंदर आ गया। 
     उसे इस तरह अंदर आया देख शरण्या हैरान रह गई और चिल्लाते हुए बोली, "यह क्या बदतमीजी है रूद्र? इस तरह से कौन करता है? मुझे भी बाकी लड़कियो की तरह समझता है क्या? मैंने बार-बार कहा है तुझसे, मैं उन लड़कियों की तरह नहीं हूं जो तेरे साथ वक़्त गुजारती है, जिन के साथ तू..............." इससे पहले कि शरण्या आगे कुछ बोल पाती, रूद्र ने उसके होठों पर उंगली रखते हुए चुप रहने का इशारा किया और बोला, "तुझे बार-बार कहा है, एक झटके से मार दे मुझे, एक ही बार में खत्म ऐसे बार-बार मारना तुझे अच्छा लगता है क्या? वैसे आज पूरी तरह से तय करके आइ है कि किसी की जान लेकर रहेगी तू!" रूद्र ने उसे सर से पांव तक बड़ी ही नजाकत से निहारा और एक कदम उस की ओर बढ़ाया जिससे शरण्या पीछे हटने पर मजबूर हो गई। पीछे सरकते हुए शरण्या कि पीठ दीवार से टकराई तो वह थोड़ी घबरा गई। रूद्र का इस तरह से उसके करीब आना, यह एक पहला मौका था। इस वक्त रूद्र की आंखों में उसे वो नजर आ रहा था जो वह हमेशा से अपने लिए देखना चाहती थी लेकिन आखिर कब तक? रूद्र जो कभी किसी एक के साथ नहीं ठहरा तो क्या उसके साथ इमानदारी से रहेगा या फिर वह भी उन लड़कियों में से एक होकर रह जाएगी यह सोच उसके दिल में एक टीस सी उठी। उसने रुद्र का हाथ झटका और वहां से जाने को हुई लेकिन रूद्र ने उसकी कमर पकड़ कर वापस से दीवार से सटा दिया। शरण्या गुस्से में बोली, "लगता है तुझे मरने का बहुत शौक है इसीलिए तो ऐसी हरकत कर रहा है, है ना?"
     रूद्र जैसे उसकी आंखों में हो ही गया और बोला, "तेरा मन है मुझे मारने का तो मार दे! तेरे सामने खड़ा हूं जो करना है जैसे सलूक करना है तु कर सकती है। इस वक्त मेरी आंखों के सामने रह, बस कुछ वक्त तुझे देख लूं मैं, जी भर के फिर चले जाना।" रूद्र खुद भी नहीं समझ पा रहा था कि अचानक से उसमें इतनी हिम्मत कैसे आ गई कि वह शरण्या के सामने इस तरह खड़ा है, बिना किसी डर के! वरना तो उसके नाम से ही घबराहट होती थी। आज इस वक्त में उसे कोई घबराहट नहीं हो रही थी, आज शरण्या सच में बहुत खूबसूरत लग रही थी लेकिन सादगी में और भी ज्यादा खूबसूरत होती है यह बात रूद्र को पूरी तरह से एहसास हो चुका था। रुद्र का एक हाथ अभी भी शरण्या की कमर पर था और दूसरे हाथ से उसने उसके चेहरे को थाम रखा था। जब से शरण्या आई थी उसने एक बार भी नजर उठाकर रूद्र को नहीं देखा था। लेकिन रूद्र की नजर उस से हट ही नहीं रही थी। वह बस एक बार उसे करीब से देखना चाहता था और यह मौका उसे हाथ से नहीं जाने देना था इसीलिए उसने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया ताकि कोई उन दोनों को कोई डिस्टर्ब ना कर सके। शरण्या के मन का डर एक बार फिर सर उठाने लगा कि कहीं रूद्र दिल को उसकी आंखों में उसके लिए प्यार में नजर आ जाए। कहीं वह कमजोर ना पड़ जाए। जिस एहसास को सिर्फ अपने तक छुपा रखा था कहीं रूद्र को नजर आ गया तो फिर वह उसका सामना कैसे करेगी? उसने फिर से रूद्र की पकड़ से छूटने की कोशिश की लेकिन रूद्र की पकड़ उसकी कमर पर और कस गई जिससे हल्के निशान पड़ने लगे थे। दर्द से उसकी आंखों में आंसू आ गए जिसे देख रूद्र ने एकदम से उसे छोड़ दिया और बोला, "तुझे अच्छे से पता है तेरी आंखों में आंसू नहीं देख सकता मैं, इसलिए इस हथियार का इस्तेमाल करना जानती है तू!" कहकर रूद्र वहां से चला गया। उसके जाते ही शरण्या ने अपने दिल को थामा और कुछ देर वही बैठ गई। रूद्र के ठंडे हाथ का स्पर्श अभी भी उसके कमर पर था। उसे महसूस हुआ कि जहां रूद्र में पकड़ा था वहां निशान पड़ गए थे तो अपने आंचल को खोल कर उससे अपनी कमर को ढका और फिर आईने में खुद को अच्छे से निहार कर वह नीचे आ गई। 
       नीचे आकर शरण्या ने देखा रूद्र उन सब के बीच ही बैठा था और सभी रेहान और लावण्या की सगाई की डेट की बात कर रहे थे। पंडित जी ने भी पंचांग ना लाने की बात कह उन्होंने कल आकर मुहूर्त बताने की बात की। शिखा जी ने उन्हें खूब सारी दक्षिणा देकर विदा किया और जैसे ही पलटी उनकी नजर शरण्या पर गई जो उनके ठीक पीछे सोफे के पास खड़ी थी। उसे देख शिखा का दिल एक बार फिर उम्मीद कर बैठा, "काश! काश कि शरण्या भी मेरी बहू बन जाती लेकिन क्या रूद्र मानेगा?" सोचते हुए उन्होंने रुद्र की ओर देखा जोकि अपने फोन में बिजी था और उसके चेहरे पर हल्की सी नाराजगी भी झलक रही थी। शिखा कुछ समझ नहीं पाई। वही रूद्र तो बस शरण्या की ओर देखना नहीं चाहता था। जो कुछ अभी उन दोनों के बीच हुआ और जिस तरह शरण्या ने अपनी आंखों में आंसू भर कर रूद्र को खुद से दूर किया, इस बात से उसे नाराजगी थी। इसलिए वो चाहकर भी शरण्या से नजर नहीं मिलाना चाहता था और ना ही उसे यह एहसास दिलाना चाहता था उसकी नाराजगी से रूद्र को कोई फर्क पड़ता है। 
      शिखा ने शरण्या को अपने पास आकर बैठने को कहा तो शरण्या उनका हाथ थाम ते हुए बोली, "आंटी बातें तो मुझे भी आपसे बहुत करनी है लेकिन फिलहाल मुझे नेहा के घर जाना है, उसके भैया का रिसेप्शन है मैंने बताया था ना। मुझे अभी निकलना होगा वरना बहुत नाराज होगी मुझ पर। उसके भैया की शादी पर मैं नहीं जा पाई थी, आज अगर वक्त पर नहीं पहुंचूंगी तो ना जाने वह क्या करेगी।" शरण्या के बस इतने कहने की देर थी की रूद्र बोल पड़ा, "मेरी गाड़ी बाहर खड़ी है, तू चल मैं तुझे छोड़ देता हूं।"
        लेकिन शरण्या को कहा यह मंजूर था। रुद्र की हरकतों से आहत हुई शरण्या ने साफ-साफ इंकार करते हुए कहा, "मैंने विहान को बुलाया है। वो आता ही होगा मुझे ले जाने, वैसे भी तेरे पास बहुत से काम होते हैं।" कहकर शरण्या बिना एक पल भी गवाए बाहर निकल गई। रूद्र गुस्से में अपना फोन अपनी मुट्ठी में दबाकर उसे जाते हुए देखता रहा और कुछ देर बाद खुद भी दरवाजे से बाहर निकल गया। घर में मौजूद हर एक शख्स उन दोनों की इस हरकत से हैरान था। आखिर इन दोनों के बीच हुआ क्या? रूद्र को गुस्सा करते कभी किसी ने नहीं देखा था लेकिन आज जो रूद्र शरण्या के नाम से भी डरता था वहीं शरण्या पर गुस्सा होते हुए बाहर निकला है, जरूर कुछ हुआ है वरना रूद्र इस तरह से कभी किसी से नाराज नहीं होता। शिखा सोच में पड़ गई। 
        


      
       
      
 क्रमश:     
      
  

टिप्पणियाँ

  1. Mam bahut hi 👋😊☺🤗💕❤👋😊mazedaar khubsurat emotional everything

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  2. मैम, बहुत ही शानदार पार्ट था!! 👌👌 रेहान और लावण्या का तो रिश्ता तय हो गया और अब उनकी सगाई भी हो जाएगी..!! 😍😍 पर रुद्र और शरण्या का रिश्ता कॉम्प्लिकेट होता नजर आ रहा है, जहा शरण्या अपने अहसासों को छिपाने रुद्र से दूर रहना चाहती है वही रुद्र उसके करीब जाना...!! खैर, आगे के भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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  3. Awesome lovely super amazing outstanding jabardust behtreen lajabab part

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  4. Suprbbbbbbbbbbbb 💕😘😘💕 apne dil k haal se anjaan hai abhi

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