ये हम आ गए कहाँ!!! (12)

      पूरी रात रूद्र सिर्फ करवटें बदलते रह गया। उसके एहसास में शरण्या अब बसने लगी थी और वह चाह कर भी किसी और तरफ ध्यान नहीं लगा पा रहा था लेकिन अपने इस अहसास से बेखबर रूद्र बार-बार अपने ख्यालों को झटक देता और सोने की कोशिश करता ताकि कल सुबह एक बार फिर उस आवाज के पीछे भाग सके लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उसके लिए मुश्किल था। शरण्या के लिए उसके दिल में जो एहसास जग रहे थे इससे वह खुद अनजान था और वहीं दूसरी ओर उस आवाज का इतना अपना सा लगना कि उस एक आवाज के पीछे रुद्र दीवाना हुआ जा रहा था, यह सब कुछ उसकी समझ से परे था। ना जाने जिंदगी किस ओर जाने वाली थी। 


     वही रेहान भी कुछ कम बेचैन नहीं था। लावण्या के लिए उसकी फीलिंग को वह अच्छे से जानता था लेकिन यह कह पाना उसके लिए कुछ ज्यादा ही मुश्किल था। बचपन से ही काफी शांत स्वभाव का रिहान न जल्दी किसी से घुलता मिलता और ना ही जल्दी किसी से बातें करता। उसकी सिर्फ एक ही दोस्त थी और वह थी लावण्या और उससे भी वह कभी-कभी ही बातें करता। लावण्या भी रेहान के इस अंतर्मुखी मन से काफी अच्छे से परिचित थी इसीलिए वह भी बिना कहे उसके मन की बात जान लेती थी। लेकिन यह एक ऐसी बात थी जिसके लिए उन दोनों का खुलकर एक दूसरे के सामने जाहिर करना जरूरी था। बिना कहे बिना सुने बस आंखों ही आंखों में इस एहसास को तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि सामने वाला खुल कर इस एहसास को ना स्वीकारें। वरना प्यार एक तरफा ही रह जाता है। पूरा दिन गुजर जाने के बावजूद रेहान लावण्या से बात नहीं कर पाया। वही लावण्या के मन में एक बात बैठ गई कि रेहान को उससे कोई मतलब नहीं और वह किसी और के साथ रिश्ता जोड़ने को तैयार है, इसलिए उसने भी रेहान को इस बारे मे टोकना जरूरी नहीं समझा और उस दिन वह ऑफिस नहीं गई। 

      वही शरण्या को रूद्र की बातों से पूरा यकीन हो चला था की वह लावण्या से प्यार करता है, वरना इस तरह सीधे-सीधे उसके बारे में ऐसी बातें नहीं करता। शरण्या का दिल एक बार फिर टूट गया। वही इस सब से अनजान रूद्र पूरा वक्त शरण्या के एहसास में भीगता रहा, बिना उस एहसास को पहचाने। इन चारों की जिंदगी में ना जाने अब कौन सा मोड़ आने वाला था। 

     

    सुबह से ही घर में काफी चहल-पहल थी। पूरे घर के कुशन के कवर चादर, पर्दे सभी बदले जा रहे थे। रसोई में सभी कई अलग-अलग तरह के डिसेज और मिठाइयां बनाने में लगे हुए थे। ऐसा लग रहा था मानो एक दिन में ही दिवाली की पूरी सफाई हो रही हो। रूद्र को याद ही नहीं रहा। उसे यह सब देख कर बड़ा अजीब लग रहा था। वह अलसाते हुए उठा और जाकर पीछे से शिखा को हग करते हुए पूछा,"इतनी सुबह-सुबह आप लोग क्या कर रहे हो मां? कितनी खटर पटर हो रही है,मैं सो भी नहीं पाया ठीक से! आज दिवाली है क्या जो इतनी भागदौड़ लगी हुई है घर में? या फिर किसी की शादी है?"

      शिखा मुस्कुराते हुए बोली, "आज रेहान को देखने लड़की वाले आ रहे हैं। मिस्टर एंड मिसेज अहूजा अपनी बेटी मेघना के साथ यहां आ रहे है। अगर हमें लड़की पसंद आई और रेहान को भी तो जल्द से जल्द मैं बहू ले आऊंगी घर में। शादी तो होनी है" रेहान की शादी की बात सुन अचानक से रूद्र को लावण्या का ख्याल आया तो वह हडबड़ाते हुए किचन से बाहर भागा। "अरे रूद्र!!! अपनी कॉफी तो ले जाओ!" शिखा पीछे से आवाज देती रही लेकिन रूद्र ने बिल्कुल भी नहीं सुनी। 

     रूद्र अपने कमरे में आया और अपना जुगाड़ू दिमाग लगाने लगा। उसे कुछ तो ऐसा करना था ताकि इस रिश्ते को होने से पहले ही तोड़ा जा सके। आखिर ऐसा कुछ न कुछ तो करना ही था ताकि रेहान और लावण्या एक हो सके लेकिन कैसे? यह दोनों काम एक साथ कैसे होंगे, यह सोचते हुए रूद्र ने विहान को फोन लगाया। रेहान और लावण्या के बारे में वह कम से कम विहान से तो बात कर ही सकता था। जैसे ही विहान ने फोन उठाया, रुद्र उस पर टूट पड़ा, "अबे गधे, साले! तू है कहां? फोन उठाने में इतना टाइम लगता है तुझे? कर क्या रहा था तू? मर कहां गया था? तुझे पता भी है घर में भूचाल आया हुआ है और मुझे तेरी सबसे ज्यादा जरूरत है! लेकिन तू है कि पिछले दो दिनों से गायब है। एक बार भी तूने भी यह नहीं पूछा कि परसो उस शाकाल से मिलने गया था, जिंदा भी है या मर गया? पहले तो वो सिर्फ जागते में मुझे परेशान करती थी अब तो उसकी वजह से मैं सो भी नहीं पा रहा हूं। नींद भी अगर आती है तो सपने में भी वही नजर आती है मुझे। अब तू बता मैं क्या करूं? और उससे भी बड़ी बात! आज रेहान को देखने लड़की वाले आ रहे हैं यार और रेहान शादी करना नहीं चाहता। उससे भी बड़ी मुसीबत यह है कि ना रेहान पापा को कह पा रहा है ना मां को कह पा रहा और ना ही लावण्या से कुछ कह पा रहा है। सब कुछ ठीक कैसे होगा यार हम सब की लाइफ में? और तु साले! पड़ा होगा किसी गर्लफ्रेंड के पास! कमीने! जिसके पास तेरे जैसा दोस्त हो उसे दुश्मनों की क्या जरूरत?"

      विहान उसके इस लंबे चौड़े और इमोशनल डायलॉग से घबरा गया। उसने बीच-बीच में रुद्र को कई बार रोकने की कोशिश की लेकिन रूद्र कहां किसी की सुनता था। उसे जो कहना होता वह तो कह कर रहता था। बस इस पूरी दुनिया में दो ही इंसान ऐसे थे जिसके सामने रुद्र की जुबान नहीं खुलती थी, एक थे उसके पिता धनराज और दूसरी थी उसकी शाकाल यानी शरण्या! रूद्र ने अपनी बात पूरी की और सांस लेने के लिए रुका, तब मौका मिलते ही विहान बोला, "अबे यार तू है कहां? कल चारों ओर ढूंढा मैंने तुझे! तेरा फोन भी बंद था! घर आया तो तू कहीं नजर नहीं आया। किसी से पूछा भी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। और तु कल दिन भर था कहां? आया था मैं तुझ से मिलने के लिए कमीने तु मुझ पर इल्जाम मत लगा! तेरा दोस्त हूं मैं, मुझे लगा था कहीं तेरे शहीद होने की खबर ना मिले मुझे इसलिए रात भर बेचैन था! लेकिन तेरे भाई को तो कोई मतलब ही नहीं है यार! मैंने उसे बताया भी तु शहीद होने गया है लेकिन उसने कुछ करने से इंकार कर दिया। और क्या कहा तूने! रेहान को देखने लड़की वाले आ रहे हैं तो क्या रेहान को शादी नहीं करनी? अगर शादी नहीं करनी है तो साफ-साफ बता देता ना! कम से कम आंटी को तो बता ही सकता है। और लावण्या इस सब मे कहां से बीच में आ गई? एक मिनट एक मिनट!! तू कहना क्या चाहता है?"

     "वही जो तु समझ रहा है साले! रेहान लावण्या से प्यार करता है और वह अब तक उसे यह बात बोल नहीं पाया है। और लावण्या ने भी तो कभी खुलकर उससे बात नहीं की। जब उन दोनों के बीच बातें ही नहीं हो पाती है तो कैसे वो अपना प्यार का इजहार करेंगे? और उसे बड़ी बात यह जानना है! अगर लावण्या भी रेहान से प्यार करती है तो फिर कुछ ऐसा जुगाड़ लगा जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। कहने का मतलब रेहान का रिश्ता भी टूट जाए और इन दोनो के बारे मे सबको पता भी चल जाए, खुद लावण्या को भी। तु समझ रहा है ना!" रूद्र की बात सुन विहान सोच में पड़ गया। वह अपना सर खुजाते हुए बोला, "तु रुक भाई! मैं कुछ जुगाड़ लगाता हूं! जहां तक मुझे पता है, लावण्या कल ऑफिस नहीं गई और कुछ टाइम से उसने खुद को कमरे में बंद कर रखा है। ना कहीं बाहर जा रही है ना किसी से मिल रही है अब मुझे समझ आ रहा है, तेरा शक बिल्कुल सही है। क्योंकि लावण्या के लिए जो रिश्ता बड़े पापा ने देखा है वह तो बड़ी मां अब शरण्या के लिए चाहती है। और उन लोगों ने खुद भी शरण्या के लिए ही बात उठाई है तो फिर लावण्या इतनी परेशान क्यों है? हो ना हो मेरे भाई कुछ तो है! दोनो तरफ आग बराबर लगी है। यहाँ बात मेरी बहन की है तो बेटा, रेहान से बेहतर और कोई हो ही नहीं सकता। तेरी बात होती तो मैं कभी होने नहीं देता!"

     रूद्र की भौहें सिकुड़ गई और वह चिढ़ते हुए बोला, "मेरे साथ घूमेगा! मेरे साथ सारी अय्याशियां करेगा लेकिन अपनी बहन का रिश्ता मेरे साथ होने नहीं देगा। वाह कमीने! देखी तेरी दोस्ती साले! अब तो मैं तेरा जीजा बनके रहूंगा तो देख लेना!" रूद्र की बात सुन विहान हंसते हुए बोला, "अबे किस दुनिया में है तु? लगता है कुछ ज्यादा चढ़ गई तुझे और तेरा हैंगओवर अभी भी उतरा नहीं है! तू बोल क्या रहा है? मेरी सिर्फ दो ही बहने है, एक लावण्या और दूसरी शरण्या। लावण्या को तो रेहान के साथ सेट करने के लिए तू ही बोल रहा है और तू शाकाल से शादी करने का सोच रहा है क्या? मुझे नहीं पता था तुझे सुसाइड करने का इतना शौक है!"

     रुद्र सोच में पड़ गया। अनजाने में वह क्या बोल गया उसे कुछ नहीं पता था। वह बोला, "यार बात तो तेरी सही है। मैं भी बस जोश जोश में बोल गया। वैसे छोड़ ये सब! लड़की को कैसे मना करना है इसके लिए कुछ जुगाड़ लगा। क्योंकि लड़की वाले कुछ देर में आते ही होंगे, चल जल्दी कर।" कहते हुए उसने फोन काट दिया और सोचने लगा, "शरण्या की शादी!!! क्या वह शादी के लिए हां कह देगी??? नहीं! ऐसा नहीं हो सकता!!! तु फिर क्या सोच रहा है रूद्र? वो शादी करें ना करें, तुझे क्या?" सोचते हुए उसने अपने सर पर जोर से हाथ दे मारा और रेहान के लिए कुछ जुगाड़ भिड़ाने लगा क्योंकि लड़की वालों के आने का टाइम हो गया था। वह रेहान के कमरे की ओर भागा। 

     रेहान अपने कमरे में तैयार हो रहा था। उसे ना चाहते हुए भी उन सबके बीच जाना ही होगा और इस सब तमाशे का हिस्सा बनना पड़ेगा' यह सोचकर ही वह झुंझला गया। वह बार-बार अपना फोन उठाता और लावण्या को कॉल करने की कोशिश करता लेकिन लावण्या का नंबर डायल करना उसके बस की बात नहीं थी। रूद्र उसे ताना मारते हुए बोला, "हा! हा!! कोशिश कर ले! जब तक तुझ में हिम्मत आएगी तब तक तेरे बच्चे क्या! बच्चों के भी बच्चे हो चुके होंगे। लेकिन कभी बोलना मत कि तू उससे प्यार करता है। अगर मैं गलत नहीं हूं तो वह भी तुझसे प्यार करती है। कल ऑफिस आई थी वह?" रेहान ने किसी बच्चे की तरह मुंह लटकाए हुए ना में सर हिला दिया। 

     "बहुत अच्छे मेरे लाल! वह शरण्या मुझे रजिया कहती है ना, तेरा नाम होना चाहिए। इस वक्त किसी लड़की से कम नहीं लग रहा है तू। इतना क्या सोचना यार!! प्यार का इजहार ही तो करना है कौन सा पहाड़ तोड़ना है? हां करेगी तो ठीक ना कहेगी तो दोस्त बने रहना। इसमें क्या जाता है!" रेहान तुनक कर बोला, "तेरे लिए सब इतना आसान सा लगता है ना! तु तो हर रोज न जाने कितनी लड़कियों को आई लव यू बोलता होगा। लेकिन देख ले भाई! जिस दिन तुझे सच में किसी से प्यार हो गया ना, तो अपने दिल की बात कहने में कितना घबराएगा! यह तुझे तब पता चलेगा कि प्यार का इजहार करना कितना मुश्किल होता है! उसके सामने तेरी जबान बंद हो जाएगी जैसे शरण्या के सामने तेरी जबान नहीं खुलती है। उस वक्त तुझे एहसास होगा जो कुछ भी मैं फील कर रहा हूं। उसे अपने दिल की बात ना कह पाने का एहसास, उसे खो देने का एहसास। देखना एक दिन तू भी महसूस करेगा।" कहकर रेहान गुस्से में अपने कमरे से निकल गया। रूद्र को उसकी बात सुनकर हंसी आ गई। उसने एक नजर चारों और पूरे कमरे में डाली। दो अलमारी कपड़ों से भरी थी तो एक आलमारी किताबों से। रुद्र उसके स्टडी टेबल पर आया जहां उसका लैपटॉप खुला हुआ था। ना जाने उसे क्या शायद सूझी, उसने रेहान का मेल बॉक्स ओपन किया और कुछ टाइप करने लगा। कुछ देर तक टाइप करने के बाद एक लंबा चौड़ा मेल उसने रेहान की आईडी से किसी को भेज दिया और सेंड होते ही उसके चेहरे पर एक जीत की खुशी थी। उसने मन ही मन कहा "बस यह आईडिया काम कर जाए।"

     

     

    

   

 

    


क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. Superb part.. Dono bhai kitne alag hai.. Ab rudra ne jo kand kiya uska anjam kya hoga ye to agle part me pta chalega.

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  2. काफ़ी लेट हूं मैं पार्ट पढ़ने में..!! पर बीच में एग्जाम वगेरे आ गए फिर इधर का रास्ता खो गया जैसे, सॉरी उसके लिए मैम! 🙂🙂 वैसे पार्ट बहुत बढ़िया था, और रुद्र तो विहान को जोश जोश में बोल दिया के उसका जीजा बनकर रहेगा! 😂😂 और चारो की ही जिंदगी उलझ कर रह गई है... नजाने क्या होगा? 🙄🙄

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