सुन मेरे हमसफर 286

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     शिवि की विदाई होने के बाद सभी अपने घर लौट आए। सब लोग इस वक्त मित्तल हाउस के हाल में बैठ आराम कर रहे थे। कार्तिक परेशान थे तो काव्य तो अभी भी सिसक रही थी। और श्यामा! उन बेचारी को तो अभी तक विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि अभी-अभी उन्होंने अपनी बेटी की विदाई की है। यह सब कैसे हो गया और क्या हो गया, इस पर अभी भी उनको यकीन करना मुश्किल था। इसलिए सबके बीच बैठने की बजाय श्यामा अपने कमरे में चली गई।


     बेटी के विदा होने से श्यामा दुखी तो थी लेकिन परेशान भी थी, यह बात सिद्धार्थ अच्छे से समझ रहे थे। उन्होंने जाकर श्यामा को समझाना चाहा लेकिन अव्यांश ने उन्हें रोक दिया और कहा "बड़े पापा! मुझे उनसे थोड़ी बात करनी है। आप रुकिए, मैं उन्हें लेकर आता हूं।"


   सिद्धार्थ ने कहा "नहीं वह थोड़ा आराम करेगी तो बेहतर महसूस करेगी। तुझे बात करनी है तो जाकर कर ले। रात भर सोए नहीं है तो उसे सोने जाने को कहना, हम लोग भी सो लेंगे। तु जा।" सिद्धार्थ ने बुझे हुए स्वर में यह बात कही।


 अव्यांश को उनके लिए बहुत बुरा लगा लेकिन सबसे पहले उसने अपनी बड़ी मां से बात करना ज्यादा जरूरी समझा क्योंकि यह उसके लिए सेफ साइड था। बड़े पापा से बात करता तो न जाने वह कैसे रिएक्ट करते हैं और जूते पड़ते सो अलग।


 अव्यांश जब श्यामा के कमरे में गया तो देखा श्यामा अपने बिस्तर पर बैठी रो रही थी। अंशु जाकर घुटने के बाद उनके सामने बैठ गया और अपनी बड़ी मां का हाथ अपने हाथ में लेकर बोला "क्या यह आंसू सिर्फ शिवि दी के विदाई के हैं?"


 श्यामा फूट पड़ी। बड़ी मुश्किल से उन्होंने कहा "मैं क्या करूं अंशु, अपनी बच्ची के लिए मैंने यह सब नहीं चाहा था। मैं तो बस यह चाहती थी कि जो भी उसका हाथ थामे, मेरी शिवि से बहुत प्यार करें। वह इंसान नहीं जो पहले ही किसी और से प्यार करता है और किसी से भी शादी करने के लिए तैयार हो जाए। उसे कोई फर्क ही ना पड़े कि उसकी लाइफ में कौन है। तू बता क्या वह इंसान मेरी बेटी के साथ न्याय कर पाएगा? क्या मेरी बेटी को वह खुशी दे पाएगा जो से मिलनी चाहिए?"


 अव्यांश मुस्कुरा दिया और बड़े प्यार से अपनी बड़ी मां के हाथ चूम कर बोला "आपको क्या लगता है बड़ी मां, जिस इंसान ने आपकी बेटी का हाथ थामा है वो उससे प्यार नहीं करता?"


 श्यामा ने हैरानी से अव्यांश की तरफ देखा। वह इतनी ज्यादा हैरान हो गई कि वह अपना रोना तक भूल गई। अंशु ने श्यामा की आंखों में आंखें डाल कर देखा और कहा "मतलब आपको पता है कि कुणाल की लाइफ में कोई है जिससे वह प्यार करता है।"


 श्यामा ने पलके झपकाए और कहा "हां, कोई है जिसे वह बहुत ज्यादा प्यार करता है और उसे नही सकता फिर भी भूलने को तैयार है। ठीक है मैं उसकी इसी बात से इंप्रेस हो गई थी। लेकिन सच बात तो यह है की कुहू कुणाल से प्यार करती है इसलिए वह कुणाल को हर हाल में एक्सेप्ट करने को तैयार थी। कुणाल ने भी प्रॉमिस किया था कि वह कुहू को खुश रखेगा पर यह कभी नहीं कहा कि उसे प्यार कर पाएगा। हमारी शिवि तो उसे जानती तक नहीं है वह कैसे एडजस्ट करेगी सबके साथ? उसके लिए तो यह घर यह परिवार यहां के रिश्ते आदर्श है। अगर उसे इस रिश्ते में वह प्यार वह सम्मान नहीं मिलेगा तो फिर कैसे एडजस्ट करेंगी?वह मेरी शिवि उससे प्यार भी नहीं करती, फिर क्यों?"


 अव्यांश उठकर श्यामा के बगल में बैठ गया और कहा "जब आप इतना जानती हो कि कुणाल किसी से प्यार करता है और वह प्यार कभी कुहू दी के हिस्से नहीं आने वाला था तो मैं यह आपको बता दूं कि कुणाल का प्यार हमेशा से शिवि दी के लिए ही था और यह सब कुछ कुहू दी ने जानबूझ कर किया ताकि शिवि दी के पास और कोई रास्ता ना बचे।"


 अब तो श्यामा और भी ज्यादा हैरान हो गई। उन्होंने पूछा "तुम्हारे कहने का मतलब कुणाल और शिवि एक दूसरे को पहले से जानते हैं? नहीं यह सच नहीं है। उसने कभी मुझसे कुछ नहीं छुपाया यहां तक कि अपने पापा से भी नहीं। मुझसे ज्यादा उन्हें पता होती है उसकी सारी खबर फिर यह सब कैसे?"


 अव्यांश ने अपनी बड़ी मां को प्यार से गले लगा और उनके कंधे पर सर रखकर कहा, "आपकी बात भी सही है बड़ी मां! लेकिन प्यार यहां कुणाल को हुआ और एहसास शिवि दी को। बस उस एहसास से दूर भाग रही थी हमारी शिवि।"


 इससे पहले की अव्यांश आगे कुछ और कह पा, निर्वाण के चिल्लाने की आवाज आई "अंशु भाई कहां हो तुम, बाहर निकालो!!"


 इस सबके बीच में अव्यांश का निर्वाण को भूल ही गया था। उसकी आवाज सुनकर अव्यांश ने अपने सर पर हाथ मारा और कहा, "हो गया लफड़ा। इसको भी अभी आना था!"


 श्यामा ने पूछा क्या हो गया "ऐसा क्या कर दिया निर्वाण ने जो...!"


अव्यांश ने श्यामा को बीच में टोकते हुए कहा "यह सब आपको बाद में पता चलेगा। फिलहाल तो मुझे बाहर जाना होगा वरना यह इंसान सबका भांडा फोड़ देगा।" अंशु तेजी से हाल की तरफ दौड़ा।


 निर्वाण को इस तरह चिल्लाते देख सिया ने घबरा कर पूछा "क्या हुआ तू ऐसे क्यों चल रहा है? और तू था कहां? एकदम से गायब हो गया था।"


 निर्वाण में अव्यांश की पोल खोलते हुए कहा "कहीं गया नहीं हुआ था मैं नानी, अंशु ने बहाने से मुझे वहां से दूर भेज दिया था ताकि मैं शादी अटेंड ना कर पाऊं।"


 अव्यांश भागते हुए आया और निर्वाण के मुंह पर अपना हाथ रखकर जोर से दबा दिया लेकिन निर्वाण को जो कहना था वह तो उसने कह दिया था। सिया ने सवाल किया "अंशु ये क्या कह रहा है? इसको तूने जानबूझकर इसको शादी से दूर रखा, मतलब?"


 अव्यांश ने घबराते हुए कहा "कुछ नहीं! कुछ नहीं दादी, कुछ भी नहीं! आप जानते हो, ये पागल है, कुछ भी बकवास करता है। आप कहां इसकी बातों को सीरियसली ले रहे हो!"


 खुद को पागल कहता सुनकर निर्वाण ने अव्यांश के हथेली पर जोर से दांत गड़ा दिया जिस कारण अव्यांश ने निर्वाण को छोड़ दिया और अपनी हथेली सहलाने लगा। "तू नेत्रा का ही भाई है। वह भी ऐसे ही है।"


 निर्वाण ने इस बार सोच लिया था कि वह अव्यांश की पोल खोल के रहेगा। उसने कहा "नानी! आप जानते हो इसने क्या किया! इसको अच्छे से पता था कि मैं शिवि दी की शादी उसे गधे कुणाल से बिल्कुल नहीं होने दूंगा।"


 चित्रा ने निर्वाण को डांटते हुए कहा "नीरू! जुबान संभाल कर, जीजा है वह तेरा।"


 निर्वाण कहां सुनने वाला था। उसने कहा "मैं नहीं मानता उसे इंसान को अपना जीजा। एक नंबर का लफंगा है वह। कुहू दी और नेत्रा को उससे बचाने के चक्कर में मैं यह भूल गया कि मेरी शिवि दी भी उसके जाल में फंस सकती है। उनको भी किडनैप कर लिया होता तो बेहतर था।"


अव्यांश ने अपना सर पकड़ लिया। इससे बेहतर था कि वह निर्वाण का गला पकड़ लेता। चित्रा भी सिर पीट कर रह गई। उसे नहीं लगा था, उसका बेटा इतना बेवकूफ होगा कि सबके सामने इतनी बड़ी बात उगल देगा। अब निर्वाण की बात सुनकर सबका शॉक्ड होना लाजिमी था। काव्या और कार्तिक ने जब सुना तो हम दोनों के मुंह से चीख निकल गई "क्या? कुहू को तुमने किडनैप किया था?"


 अब जाकर निर्वाण को एहसास हुआ कि उसने गुस्से में बहुत ज्यादा बोल दिया। उसने इस बात को संभालने के लिए अव्यांश की तरफ देखा तो अव्यांश ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा। धानी ने पूछा "क्या कह रहे हो तुम? कुहू का किडनैप ? तुम्हें समझ में भी आ रहा है तुम क्या कह रहे हो!"


 चित्रा अपने बेटे के बेवकूफी पर सिर पीट कर रह गई लेकिन अब जबकि सारी बातें सामने आ चुकी थी तो फिर इस बारे में चुप रहना सही नहीं होता। आगे की कमान चित्रा ने संभाली और सबसे हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा "पहले तो मैं आप सब से हाथ जोड़कर माफी मांगती हूं। मैं जानती हूं निर्वाण में जो किया वह सही नहीं था लेकिन हमारे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था।"


 सभी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे लेकिन सारांश को तो इस बारे में सब कुछ पता था, उन्होंने पूछा "मतलब तुम भी इस सबमें शामिल थी?"


 चित्रा ने अपनी गर्दन हिलाई और कहा "हां मैं इस सबने शामिल थी लेकिन मैं अंशु के प्लान में शामिल नहीं थी। जो प्लान अंशु और नीरू ने बनाया था कुछ वैसा ही प्लान कुहू ने भी बनाया था और मुझे उसका साथ देना पड़ा। कुहू जानती थी कि कुणाल शिवि से प्यार करता है और कभी उससे प्यार नहीं कर पाएगा। और हमारी शिवि तो लाखों में एक है। उसके लिए जैसा पार्टनर चाहिए, कुणाल वैसा ही है। शायद उसे कुछ एहसास हुआ था, शायद वह कुछ जानती थी, कुछ ऐसी बातें जो उसने ये ठान लिया था कि कुणाल और शिवि को मिलवा कर रहेगी।"


 आगे की बात अव्यांश ने कहीं "कुणाल शिवि दी से प्यार करता है, आज से नहीं बल्कि पिछले एक साल से, यह बात मैं अच्छे से जानता था। इन फैक्ट कुणाल चाहता था कि यह बात सबके सामने आए। उसने पूरी कोशिश की थी कि ये शादी ना हो पाए लेकिन कुहू दी ने जी उसे मजबूर कर दिया था। लेकिन हमें नहीं पता था कि यह सब कुछ इस तरह से होगा। शिवि दी के मन में कुणाल के लिए फिलिंग्स थी यह बात मैं भी अच्छे से जानता था और कुहू भी। गड़बड़ बस यह हुई कि हम दोनों ही इस बारे में एक दूसरे से कोई बात ना कर पाए।"


 काव्या बहुत ज्यादा नाराज थी। उसने गुस्से में कहा "तुम लोगों को जो मन किया तुम लोगों ने वह किया। बहुत बड़े हो गए हो तुम लोग, हमारी तो जरूरत ही नहीं है तुम लोगों को। एक बार भी इस बारे में हम में से किसी से बात करने की कोशिश तक नहीं की!!! तुम लोगों से क्या शिकायत करूं मैं जब मेरी अपनी बेटी ने मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहा। मुझ पर भरोसा नहीं है उसे। और तुम चित्रा! बहुत अच्छी राह दिखाई तुमने अपनी बेटी को! मैंने हमेशा खुद से पहले तुम्हें उसकी मां समझा। अगर यहां कुहू के साथ कुछ गलत हो जाता तब क्या करती तुम, क्या जवाब देती?"


 चित्रा ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन काव्या ने इस बार उसे भी डांटते हुए कहा "कुहू मेरी बेटी है मैंने जन्म दिया है उसे, मेरा खून है उसमें, तुम्हारे बहुत एहसान है मुझ पर लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उस एहसान के बदले तुम्हें कुछ भी करने की इजाजत है।" ये पहली बार था जब काव्या इतनी बुरी तरीके से चित्रा से बात कर रही थी। चित्र की आंखों में आंसू आ गए लेकिन बड़ी सफाई से चित्रा उन आंसू को छुपा गई।


 काव्या ने अव्यांश से पूछा "कहां है मेरी बच्ची, कहां है कुहू?"


अव्यांश ने शर्मिंदा होकर कहा "कुहू दी इस वक्त अपने घर पर है अपने कमरे में।" इतना सुनने की देर थी, काव्या भागते हुए बाहर निकली, कार्तिक भी काव्या के पीछे-पीछे दौड़े। कार्तिक को बुरा फील हो रहा था। उन्होंने अपनी बेटी के लिए ना जाने क्या कुछ सोच लिया था और क्या कुछ गलत उनके मुंह से निकल गया था।


 सिया ने अव्यांश की तरफ नाराजगी से देखा और कहा "कम से कम तुम लोगों को इस बारे में बड़ों से बात करनी चाहिए थी। खैर तुम लोगों से क्या समझदारी की उम्मीद रखूं मैं जबकि ये काम चित्रा को भी करना चाहिए था। इस बार तुमने बहुत बड़ी गलती की है, बहुत बड़ी गलती!"

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