सुन मेरे हमसफर 285

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 एक तरफ सभी शिवि की विदाई के लिए इकट्ठा थे तो वहीं दूसरी तरफ देवेश अपना काम कर चुका था। लावण्या ने पूछा "काम हो गया सब सही से?"


 अंश ने खुश होकर सारी तस्वीरें देखते हुए कहा "हां मॉम! मैंने ऐसी परफेक्ट फोटोज निकाली है कि कोई भी इस पर यकीन किए बिना नहीं रह पाएगा। निशी चाहे कुछ भी कर ले, वह अपने उस हस्बैंड को कभी मना नहीं पाएगी।"


 देवेश ने पूछा "मेरी समझ में नहीं आ रही एक बात, हमे इतना सब कुछ करने की क्या जरूरत थी? मेरा मतलब, आजकल ए आई टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो चुकी है ,हम बड़ी आसानी से ये सारी तस्वीर बना सकते थे, वो भी घर बैठे। फिर इतनी दूर आने की क्या जरूरत थी, वह भी रात के इस टाइम?"


 लावण्या ने देवेश को ताना मारते हुए कहा "क्योंकि जहां से मैं देख रही हूं वहां से देखने के लिए तुम्हें जन्मों लग जाएंगे। तुम्हें क्या लगता है, सारांश मित्तल इतना बेवकूफ है कि हम एआई टेक्नोलॉजी से तस्वीर बनाएंगे और एक फेक फोटो दिखाएंगे तो पूरा परिवार उस तस्वीर पर यकीन कर लेगा? तुम नहीं जानते मित्तल परिवार की नींव कितनी मजबूत है। वह सब एक दूसरे पर इतना ज्यादा भरोसा करते हैं, आंख बंद करके एक दूसरे की हर बात मानते हैं, तुम्हें लगता है कि एक झूठी तस्वीर दिखाने से वह लोग निशि को जाने देंगे, तुम्हारे हवाले कर देंगे? सबसे पहले तो वह मानेंगे ही नहीं कि यह तस्वीर असली है और दूसरी बात, वह बड़े से बड़े एक्सपर्ट को तस्वीर देकर ही प्रूफ कर देगा यह तस्वीर झूठी है। लेकिन अब जो हमारे पास तस्वीर है उसे वह चाह कर भी झूठला नहीं सकेगा। झूठ की इस दुनिया में सच बहुत कीमती होता है, बस थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ती है। अब देखना कैसे यह फोटो अपना रंग दिखाती है।"


 देवेश ने मुस्कुराकर कहा "इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। वह काम मैं ऑलरेडी कर चुका हूं।" लावण्या और अंश दोनों ने ही तेरी नजरों से दिवेश की तरफ देखा तो देवेश ने उन दोनों को सारी बातें बता दिया।


 सब कुछ जानकार लावण्या और अंश दोनों के ही होठों पर मुस्कान आ गई। दोनों ने आंखों ही आंखों में एक दूसरे को कंग्रॅजुलेशन कहा और तीनों वहां से निकल गए।



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 निशि ने देवेश को वहां से भेज तो दिया था लेकिन उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसे वहां अव्यांश मिल जाएगा जो अपना फोन कान से लगाए वह जाने कब से वहां खड़ा था। अव्यांश को ऐसे उसे देखते पा कर निशी समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन वह कुछ गलत नहीं कर रही थी बस अपने दोस्त के लिए उसे ने थोड़ा सा टाइम निकाला था और कुछ नहीं। लेकिन जाते टाइम देवेश ने उसे हग किया था। मतलब अव्यांश ने देख लिया? हे भगवान! कहीं इसने कुछ गलत समझ लिया तो फिर? एक तो वैसे ही इसने अलग होने बात कर रखी है। इसके बाद तो पता नहीं वह मेरी बात सुनेगा या नहीं।' निशी मन ही मन बड़बड़ाई और अव्यांश को समझाने के लिए आगे बढ़ी। "अव्यांश मैं वह तुम्हें सब सच........." लेकिन अव्यांश ने निशि को अनदेखा कर दिया और पलट कर वहां से तेज कदमों से निकल गया। निशि पीछे से उसे आवाज देती रह गई। "अव्यांश! अव्यांश मेरी बात सुनो तुम गलत समझ रहे हो!!" लेकिन अव्यांश बहुत दूर निकल चुका था। निशी ने उसे पकड़ने के लिए अपना हाथ भी बढ़ाया लेकिन उसके हाथ खाली रह गए। इस वक्त उसे बहुत ज्यादा डर लग रहा था, अव्यांश को खोने का डर।



 शिवि कुणाल के साथ गाड़ी में बैठी थी। रो रो कर उसका बुरा हाल हो रखा था और उससे कहीं ज्यादा श्यामा रोए जा रही थी। अपनी बेटी के लिए उन्होंने यह सब कुछ एक्सपेक्ट नहीं किया था। वो इस बात से परेशान थी कि क्या कुणाल उनकी बेटी को वो सारी खुशियां दे पाएगा जिसकी वह हकदार है? जब शिवि ने खुद इस रिश्ते के लिए हां कह दिया तो श्यामा चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई थी।


 अव्यांश ने अपनी जेब से रुमाल निकाल कर समर्थ की तरफ बढ़ाया। समर्थ ने अपनी आंखों से आंसू पोंछे और रुमाल लेकर शिवि के पैरों में झुक गया। रोते हुए शिवि एकदम से चौंक गई। उसने समर्थ की बांह पकड़ी और कहा "भाई क्या कर रहे हो आप?"


 समर्थ ने मुस्कुरा कर कहा "ये हमारे घर की प्रथा है पगली! घर की लक्ष्मी घर से जा रही है कुछ तो हमारे पास होना चाहिए।" समर्थ ने अव्यांश के दिए रुमाल से शिवि का दाहिना पैर पोछा और उसे अपने जेब में रख लिया। शिवि की रुलाई छूट गई और दोनों भाई बहन एक दूसरे को गले लगा कर फिर रो पड़े।


 समर्थ ने उसे दिलासा देते हुए कहा "तू कहीं भाग ही नहीं जा रही है, इसी शहर में है। और अगर दूसरे शहर में जाएगी ना तो हम सब वहीं पर शिफ्ट हो जाएंगे। और अगर इस इंसान ने तुझे जरा सी भी कोई तकलीफ देने की कोशिश की तो तुझे घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसको घबराने की जरूरत है, ये बात याद रखना।"


 कुणाल इतने वक्त में पूरी तरह शांत रहा था। ना उसने खुशी जाहिर की ना ही तकलीफ। उसके मन में क्या चल रहा था ये उसने किसी को पता नहीं लगने दिया। यकीन तो उसे अभी भी नहीं हो रहा था कि उसकी शादी उस लड़की से हो गई है जिससे वह प्यार करता है। लेकिन अभी समर्थ की बात सुनकर वह चौके बिना ना रह सका।


  कुणाल ने बड़ी मासूमियत से पूछा "आप डरा रहे हो मुझे भाई?"


 अव्यांश, जो कुणाल की तरफ ही खड़ा था, उसने कहा "तुम्हें अब डर के ही रहना होगा जीजा जी! आपको यह याद होना चाहिए कि हमारी बहन एक डॉक्टर है और एक जहर का इंजेक्शन हमेशा उसके पॉकेट में रहता है। अगर तुमने मेरी बहन को परेशान करने की कोशिश की तो एक जहर का इंजेक्शन वह तुम्हें लगाएगी और एंटीडोट तोड़कर फेक देगी। क्यों भाई, सही कह रहा हूं ना मैं?"


 समर्थ ने भी उसकी बात को सपोर्ट करते हुए कहा "बिल्कुल! एक काम करना, एंटीडोट अपने पास रखना ही मत। फिर पता चलेगा इसको। बाकी सब हम पर छोड़ देना, हम सब संभाल लेंगे।"


कुणाल को शिवि का पिछला स्टंट याद आ गया। जो शिवि ने किया था उसे वह कभी भूल नहीं सकता था। उसने थूक निगलते हुए कहा "इतना कुछ समझाने की जरूरत नहीं थी। मैंने देखा है कितनी आसानी से किसी का भी गला काट देती है।"


 रोते हुए शिवि को होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई। चित्रा ने दोनों भाइयों को डांटते हुए कहा "क्या कर रहे हो तुम दोनों? इस तरह अपने जीजा को कोई डराता है क्या? तुम लोग चिंता मत करो। अरे हमारी शिवि बहुत तेज है। किसे ने अगर एक उंगली भी उठाई तो अपनी वह सर्जरी वाले चाकू उठाकर दिल में सुराग कर देगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा।"


 समर्थ के गले लगी रोती हुई शिवि हंस पड़ी। समर्थ ने बड़े प्यार से उसका सर सहलाया और कहा, "मेरा बच्चा! ऐसे ही हंसते हुए जाओ। तु हंसते हुए बहुत अच्छी लगती है और हमेशा ऐसे ही हंसते रहना। किसी की मजाल नहीं है जो तेरे होठों से इस मुस्कान को छीन सके। अरे हम उसके पुरखे हिला देंगे।"


इधर दोनों भाई अपनी बहन से लड़ जताने में व्यस्त थे। उधर कूहू और नेत्रा से रहा नहीं गया। वह दोनों भी कपड़े बदलकर सबसे छुपाते हुए मास्क लगाकर सर पर घूंघट डालकर शिवि की विदाई देख रही थी। नेत्रा ने धीरे से कहा "हमारी शिवि दी इतनी खूबसूरत है, मुझे तो पता भी नहीं था।"


 कुहू भी शिवि के चेहरे की तरफ देखते हुए बोली "कभी लड़कियों की तरह नॉर्मल कपड़ों में रहती तो पता चलता ना! अब जाकर उसका असली रूप नजर आ रहा है।" नेत्रा ने कुहू की बांह पकड़ी और उसके कंधे पर अपना रख दिया।



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