ये हम आ गए कहाँ!!! (64)

    अंतिम संस्कार के लिए पंडित जी के कहे अनुसार जब रूद्र अपने कपड़े उतारने को हुआ तो शिखा जी ने उसे रोकते हुए पंडितजी से कहा, "पंडित जी! नवंबर का महिना है, ऐसे मे उसे ठंड ला जायेगी! क्या ये जरूरी है?"

    पंडित जी बोले, "ये तो करना पड़ेगा बेटा यही नियम है इन कपड़ों में वह मुखाग्नि कैसे दे सकता है अब जब सारे क्रियाकर्म उसे ही करने हैं तो उसे पूरे विधि से करना होगा और तालाब में स्नान भी करना होगा। अगर ठंड का मौसम है तो एक चादर जरूर डाल सकते हैं।" पंडित जी की बात सुन शिखा जी थोड़ी परेशान हो गई। उन्हें रूद्र की चिंता हो रही थी। एक तो सर्दियों का मौसम उसमें भी नैनीताल की ठंडी हवाएं, ऐसे में रूद्र को ठंड लग सकती थी। रूद्र ने जब अपनी मां को परेशान होता हुआ देखा तो बोला, "मां! आप परेशान मत होइए मुझे कुछ नहीं होगा। मुझे आदत है इस सबकी, और वैसे भी अब कुछ महसूस नहीं होता। देर हो रही है, वैसे ही काफी देर हो चुकी है शाम हो गई तो फिर कुछ नहीं कर पाएंगे।"

    शिखा परेशान थी अपने बेटे को लेकर लेकिन तभी मौली अपने हाथ में एक शॉल लेकर आई और जैसे ही रूद्र ने अपने कपड़े उतारे माली ने शॉल बिना किसी देरी किए रूद्र को ओढ़ा दिया और उसके कपड़े जूते समेट लिए। शिखा जी मौली की इस हरकत को बस देखते ही रह गई। जब से रूद्र वापस आया था तब से वह मौली को ही देख रही थी। जिस तरह वह रूद्र का ख्याल रखती थी ऐसा लगता ही नहीं था कि वह आठ साल की बच्ची है। ऐसे जैसे वही रुद्र की मां हो।

    लावण्या ने जब देखा तो रेहान से बोली, "दुनिया कहती है लड़का और लड़की में फर्क नहीं होता, लेकिन फर्क होता है रेहान! बहुत बड़ा फर्क होता है और यह फर्क सामने दिख भी रहा है। मौली और राहुल, दोनों के ही उम्र में कुछ खास फर्क नहीं है, इसके बावजूद जहां राहुल में अभी भी बचपना भरा पड़ा है वहीं मौली अपने पिता का किस हद तक ख्याल रखती है यह हम सब ने देखा है। रूद्र की हर छोटी से छोटी चीज का ख्याल रखती है वो। काश हमारी भी एक बेटी होती, वह भी ऐसा ही कुछ करती।"

    लावण्या की बात सुन रेहान खामोश रह गया और मन ही मन बोला, "तुम्हें एक बेटी की चाह है लावण्या और मेरी बेटी मेरे सामने होते हुए भी किसी और को अपना पिता मानती है। दो बच्चों का बाप हूं इसके बावजूद मैं अपनी बेटी को अपना नहीं कह सकता। दुनिया से नहीं डरता लावण्या बस तुम्हें खोने से डरता हूं। जो गलती अनजाने में हुई मुझसे, क्या उसकी सजा मुझे भुगतनी होगी?" रेहान खुद से सवाल किए जा रहा था। तभी पंडित जी ने कंधा देने के लिए आवाज दी। 

    सभी जब अंतिम यात्रा के लिए निकलने को हुए तो मौली भी अपने हाथ में रूद्र के लिए कुछ सामान लेकर पीछे पीछे जाने लगी। पंडित जी ने उसे टोका, "बेटा अंतिम यात्रा में लड़कियां और औरतें शामिल नहीं होती! अंतिम संस्कार के समय केवल पुरुष ही वहां होते हैं।" 

      मौली उन्हें बीच में टोकते हुए बोली, "पंडित जी मैं आप का अनादर नहीं करती लेकिन फिर भी मुझे इस बात से ऐतराज है। जिनकी मौत हुई है वह मेरी भी कुछ लगती थी। मेरा उनसे रिश्ता है, खून का रिश्ता। ऐसे में मेरा भी वहां जाना बनता है और मैं मानती हूं अंतिम संस्कार में लड़कियां शामिल नहीं होती क्योंकि मेरे हिसाब से उनका दिल इतना मजबूत नहीं होता है कि वह किसी चिता को जलते हुए देख सके। घर में रहकर उन्हें बाकी के विधियां निपटानी होती है और बाकी तैयारियां देखनी होती है। हर किसी की अपनी अपनी जिम्मेदारी तय है और मैं मानती भी हूं, उनकी इज्जत भी करती हूं। लेकिन मेरे वहां जाने की यह वजह बिल्कुल नहीं है। अगर आप इस यात्रा में जा रहे हैं तो क्या आप अपनी परछाई को छोड़कर जा सकते हैं? नहीं ना....! मैं अपने पिता की परछाई हूं। सिर्फ मैं जानती हूं उन्हें कब क्या चाहिए। वो कब खुश है कब तकलीफ में यह सिर्फ मैं जानती हूं। उन्हें ज्यादा बात करने की आदत नहीं है। बस उनकी आंखों के इशारे मुझे समझने होते हैं। अगर मैं साथ मे नहीं गई तो जरूर उन्हें ठंड लग जाएगी और वह बीमार पड़ जाएंगे। इसलिए मेरा जाना जरूरी है और मैं अपने डैड का बेटा हूं, बेटी नहीं! और मेरे लिए सबसे जरूरी मेरे डैड है और कोई नहीं। इसलिए मुझे उनके साथ जाना है।"

    पंडित जी उसे रोक ना पाए। उसकी बातों से वह खुद भी अचंभित थे कितनी छोटी सी बच्ची के मन में ऐसे ख्याल होंगे। मौली सबके साथ आगे बढ़ गई। उसके जाने के बाद शिखा जी ने कहा, "चलो कोई तो है जिसे मेरे रूद्र की फिक्र है। कोई तो है जो उसके लिए सब से लड़ जाता है, जैसे शरण्या उसके लिए सब से लड़ गई थी। मौली बिल्कुल मेरी शरण्या की परछाई है। भगवान....! मेरे बच्चे की किस्मत में इतना दर्द क्यों है? मैं कभी अपने बच्चे को मुस्कुराते हुए देख सकूंगी भी या नहीं?" 

    नेहा उन्हें संभालते हुए बोली, "आंटी जी...! हम सब देख रहे हैं, मौली में रूद्र के संस्कार है और यह रूद्र की परवरिश है जो मौली उसे इतना प्यार करती है, उसका इतना ख्याल रखती है। आपका बेटा अकेला नहीं है और ना ही कभी अकेले हो सकता हैं। रूद्र ने दूसरों के लिए इतना कुछ किया है कि सब की दुआएं उसके साथ है। ना जाने कितनों का घर संवारा है उसने, बस अपना घर सजाना भूल गए। लेकिन देखना एक दिन भगवान उसकी किस्मत में खुशियां जरूर लिखेगा और हम सब उसे फिर से मुस्कुराते हुए देखेंगे। मेरा दिल कहता है एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा।"

    मानसी ने कहा, "रूद्र की लाइफ में सब कुछ सिर्फ तभी ठीक हो सकता है जब शरण्या वापस आए। ऐसे में हम उम्मीद पर कैसे कर सकते हैं इस बात की? शरण्या में रूद्र की जान बसती थी, उसके बिना रूद्र कुछ भी नही। पता नही क्या लिखा है भगवान ने?"

    लावण्या बिफरते हुए बोली, "बस कीजिए आप लोग!     

 रूद्र की लाइफ में अब तक ना जाने कितनी ही लड़कियां आई और गई! इसकी गिनती तो रूद्र को भी याद नहीं होगी। मेरी बहन भी उन्हीं में से एक थी तो उसके होने या ना होने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। उसके पहले भी बहुत सी लड़कियां आई और गई, उसके बाद भी कई लड़कियों के साथ रहा होगा वह। ऐसे में ये झूठा दिखावा क्यों कर रहा है आपका बेटा? शरण्या के साथ जो हुआ उसकी अपनी गलती का नतीजा था। रूद्र से प्यार करने की जो गलती उसने की, उसकी सजा मिली उसे और बिल्कुल सही हुआ उसके साथ।" कहकर वो वहां से निकल गई। 

    श्राध की सारी विधियां 13 दिनों तक चलनी थी। ऐसे में रूद्र दादी के कमरे में ही रुका था। मौली भी उसे अकेले छोड़ने को तैयार नहीं थी। वह पूरा वक्त रूद्र के साथ गुजारती। रूद्र को भी बहाना मिल गया था दूसरों के सामने आने से बचने के लिए। वह यहां सिर्फ अपनी दादी के लिए आया था और अब उसका एक और मकसद था शरण्या को वापस अपनी जिंदगी में लेकर आना। लेकिन वह कहां थी किस हाल में थी ये उसे नहीं पता था और ना ही उसे इस बारे में कोई बताने वाला था। ऐसे में उसका खुद दिल्ली जाकर इस सब के बारे में पता लगाना जरूरी हो गया। पूरे वक्त मौली ने उसका काफी अच्छे से ख्याल रखा। उसकी हर जरूरतों का उसके कहने से पहले ही मौली पूरी करती। उसके खाने पीने का ख्याल तक उस बच्ची की जिम्मेदारी थी, जिसे उसने बखूबी निभाया था। इन 13 दिनों में राहुल और मानव ने एक बार भी मौली से भीड़ने या उसे परेशान की कोशिश नहीं की। 

    

    श्राद्ध के बाद जब रूद्र अपने कमरे में ही किन्ही ख्यालों मे गुम आसमान में तारे देख रहा था। तब रेहान वह आया और एकदम से पूछ बैठा, "दादी चाहती थी कि तू यहां आए और उनकी अंतिम इच्छा थी तुझे देखने की। तू आया और उन्होंने खुशी खुशी अपने प्राण त्याग दिए। तूने उनकी हर ख्वाहिश पूरी की और शायद अब तेरा यहां कोई काम ही नहीं है तो तू वापस कब जा रहा है?" रेहान की आवाज में एक थरथराहट थी जिसे रूद्र ने साफ महसूस किया। उसने हैरानी से रेहान की तरफ देखा और कहा, "तुझे क्यों इतनी जल्दी पड़ी है मुझे वापस भेजने की? तू क्यों चाहता है कि मैं वापस चला जाऊं? चल क्या रहा है तेरे दिमाग में?"

    रेहान बोला, "देख रूद्र...! मेरा कोई गलत इरादा नहीं है और मैंने कभी नहीं चाहा कि तू घर छोड़कर जाए। लेकिन मैंने यह भी नहीं कहा था कि तू वो सारे इल्जाम अपने सर ले ले। मुझे नहीं पता था तेरे और शरण्या के बीच क्या चल रहा है! मैं अपनी लाइफ में बिजी था। एक ओर लावण्या एक ओर ऑफिस और उसमें उस लड़की, क्या नाम था उसका....! उसकी टेंशन! इस सब में मैं....." रेहान की बात काटते हुए बिना उसकी तरफ देखें रूद्र बोला, "इशिता नाम है उसका........ इशिता....!"

     रेहान दो पल को खामोश हो गया और रूद्र के चेहरे को देखने लगा। वह उसे समझने की कोशिश करना चाहता था आखिर रूद्र कहना क्या चाहता है। उसने कहा, "हां ठीक है, इशिता....! इन तीनों के बीच में फस कर रह गया था यार। मैं क्या करता मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तू यहाँ 8 साल यहां नहीं था, मैं निश्चिंत हो कर रहा हूं कि लावण्या को कभी कुछ पता नही चलेगा, वो कभी मुझे छोड़कर नहीं जाएगी लेकिन जबसे तू आया है एक बार फिर यह डर अपना सर उठाने लगा है, अगर लावण्या को पता चल गया, या गलती से भी उसे भनक भी लग गयी तो क्या होगा...? देख भाई, मुझे तुझसे कोई शिकायत नहीं है। इनफैक्ट तूने जो किया उसका एहसान में जिंदगी भर नहीं भूलूंगा लेकिन यह भी सच है कि अगर लावि मुझे छोड़ कर चली गई तो मै जी नही पाऊंगा, बहुत प्यार करता हूं मैं उससे।"

     रूद्र तंज़ भरी मुस्कान के साथ बोला, "लावण्या से प्यार करता है ना!!! इतना प्यार करता है कि उसके बिना जी नहीं सकता!!! अगर इतना ही प्यार करता है उससे तो फिर उसे धोखा क्यों दिया? जो भी किया तूने उस वक़्त तू अकेला नहीं था, लावण्या के साथ तेरी सगाई हो चुकी थी। इसके बावजूद तूने किसी और के साथ........ तू ऐसा कर भी कैसे सकता है? एक बार भी तूने नहीं सोचा, तेरी जिंदगी के साथ लावण्या की जिंदगी जुड़ी है। तूने भी वही किया जो लावण्या के पापा ने किया था। पति पत्नी का रिश्ता कोई खेल या मजाक नहीं होता है रेहान, जो जब मर्जी जिसके साथ भी जोड़ लिया जाए। दादी हमेशा कहती थी, एक औरत और मर्द का रिश्ता सात फेरों के साथ जुड़ता है मंत्रों और आशीर्वाद के साथ पवित्र होता है उसके बाद वो दोनों एक होकर एक राह पर अपने एक मंजिल की तरफ बढ़ते हैं। तूने जो किया वह क्यों किया यह मुझे नहीं जानना। मैं सिर्फ इतना पूछता हूं तुझसे, पति पत्नी के रिश्ते में पूर्ण समर्पण जरूरी होता है। अगर तू पहले ही खुद को किसी और के साथ बांट चुका है तो फिर तू लावण्या के साथ खुद को कैसे बाँट सकता है? जब तू पहले ही खुद को किसी और को सौंप चुका है तो तेरे पास लावण्या को देने के लिए बचा क्या था? तुझे हमेशा से लगता था मैं अय्यास हूं..........! नहीं मेरे भाई! शरण्या से शादी की थी मैंने, इसके बावजूद मैंने कभी उसके करीब आने की कोशिश नहीं की। क्योंकि मैं हमेशा से ये समझता रहा कि यह हक उसके घर वाले मुझे देंगे तब जाकर वो पूरी तरह से मेरी पत्नी बनेगी। इशिता को शरण्या से चिढ़ थी, उसे मौका मिल गया शरण्या से अपनी दुश्मनी निभाने का लेकिन ये मौका उसको दिया किसने? तूने......! 

     रूद्र गुस्से मे काँप रहा था। उसने कहा, "जिसको जो करना था उसने वो किया लेकिन अब नही.....! तु चाहता है मैं चला जाऊ तो चला जाऊंगा। वैसे भी अपनी मर्ज़ी से नही आया था यहाँ। बस एक बार शरण्या से मिल लू, उसके बाद चला जाऊंगा।" कहकर वो कमरे से बाहर निकल गया। रेहान उसे जाते हुए देखता रहा फिर बोला, "मतलब तु कभी नही जायेगा।" उसकी आँखों मे आँसू आ गए। 

     

     

टिप्पणियाँ

  1. अब प्लीज अगले पार्ट में शरण्या को लाइये,,,, हमें भी देखना है आखिर उसे हुआ क्या है,,? शायद वो मेंटल डिसबैलेंस हो गयी या उसे कुछ हो गया है वो तो सिर्फ आप जानते हो,,,,,तो आप प्लीज नेक्स्ट पार्ट में कहानी की जान को वापस लाईये

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  2. Wonderful Mind Blowing Part 💗💗💗💗💗💖💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  3. Plz ma shranya ka suspence khatam kariye kaha kya hua hai mansi rudra ko sab bata de

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  4. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 ये रेहान, कितना सेल्फिश बन रहा है..!! आज रुद्र ने सही सुनाया उसे, के जब वो लावण्या से प्यार करता ही है तो उसने इशिता के साथ आखिर क्यों रिश्ता बनाया....!!? 🙄😶 और मौली भी कित्ती समझदार है! रुद्र का एक पल साथ नही छोड़ा उसने...!! बिल्कुल शरण्या की तरह! 🤗🤗 अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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  5. Rehaan u r selfish............sharm karo ab bhi sudhar jao ...........

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