ये हम आ गए कहाँ!!! (4)
शाम के वक्त अनन्या सभी नौकरों को रात के खाने के बारे में समझा रही थी और खुद भी इन सब में शामिल थी। वह हर एक डिश को अपनी निगरानी में बनवा रही थी। घर में इतनी चहल-पहल देखकर शरण्या को थोड़ा शक हुआ तो उसने लावण्या से पूछा, "लावी दी!!! यह हो क्या रहा है घर में? आई मीन इतनी चहल-पहल? कोई आ रहा है क्या?" लावण्या बोली, "अरे कुछ नहीं? वह बहुत दिन हो गए ना, मॉम ने हीं इनवाइट किया है धनराज अंकल और शिखा आँटी को। यहां आज सब डिनर पर आ रहे हैं। बिजनेस के चक्कर में पिछले कुछ दिनों से सभी टेंशन में थे, अब फाइनली जाकर प्रोजेक्ट पूरा हुआ है तो मॉम डैड ने सोचा कि थोड़ा फैमिली टाइम हो जाए। इसलिए उनको पूरी फैमिली के साथ बुलाया है।" धनराज अंकल के आने की खबर सुनकर शरण्या खुश तो हुई लेकिन उसे अच्छे से पता था कि उनकी फैमिली से लावण्या का मतलब क्या था! यानी रेहान और रूद्र!!! रेहान तक तो ठीक था लेकिन रूद्र का आना शरण्या का पारा गर्म कर गया, लेकिन इस बारे में वो कुछ कर भी नहीं सकती थी। आखिर खुद अनन्या ने सबको इनवाइट किया था। उसने सोच लिया कि आज रात वह अपने कमरे से बाहर...